Maitri Mishra   (D¡V¡|\!€ °°!\/!•!\/!°°)
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Joined 15 June 2017


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Joined 15 June 2017
13 MAY 2021 AT 22:21

चाँद-रात का वो नायाब़ मगऱूर चाँद,
मुझे उनकी बेरुख़ी याद दिला गया...
इतनी बेरंग-सी ईद क्यूँ है आयी ❓❓
आख़िर कहाँ मेरे रोज़ों का सिला गया...⁉

میتری کا تعلق فیض سے ہے
#मैत्री_मिश्रा 👑

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27 JAN 2021 AT 23:07

आरज़ू-सा अब कोई अहसास ना भाए,
ख़ामोशी की सोहबत भी रास ना आए
कुछ इस कदर मिला इश़्क का सिला मुझे,
दरिया पर खड़े हो कर भी प्यास ना आए..!

- मैत्री ✍👑

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1 OCT 2020 AT 23:45

बैठी हूँ फ़ुरसत से आज अपना हाल बयाँ करनें
लफ़्ज़ों के ज़रिये अपने ख़्वाब़-ओ-ख़्याल बयाँ करनें,
कह पाना जिन बातों को अक्सर होता नहीं है मुमकिन,
कलम की जादूगरी से ऐसे कुछ कमाल बयाँ करनें,
इक अरसे से बेज़ारी में ही गुज़री है जो "हय़ात",
उस मायूस सी ज़िदगी में छिपा अमाल बयाँ करनें,
बेसुद हो कर बस चल रही हूँ इक चिराग को थामें
पर मिल ना सका है रहब़र कुछ भी फिलहाल बयाँ करनें...!

- मैत्री 👑

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23 JUL 2020 AT 1:21

इन हवाओं में घुलनें को जी चाहता है
इन फ़िज़ाओं में बसनें को जी चाहता है
मेरी इस 'अटपटी' जिंदगीं की कहानी को,
मेंहदी से भी गहरा रचने को जी चाहता है..
कभी टूटे पत्तों संग उड़ने को जी चाहता है,
कभी चिड़िया-सा चहकनें को जी चाहता है,
तेज़ नदी के उस प्रचंड उफ़ान को देख कर,
मेरा भी उसकी गति से बहने को जी चाहता है..
कभी सितारों जैसा टिमटिमानें को जी चाहता है
कभी सन्नाटे जैसा-ही परसनें को जी चाहता है
और उस उड़ते हुए मदमस्त जुगनू को देख कर,
मेरा भी उसके जैसा ही चमकनें को जी चाहता है..♥

- मैत्री मिश्रा 👑

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3 JUL 2020 AT 22:17

एक लफ़्ज़ मोहब्ब़त है जानम ,हम बात उसी की करते हैं
फिर इश़्क की राहों में दोनों..चलो गिरते और संभलते है,
उन सरपट-सी पकडंडियों से, आओ दौड़कर निकलते हैं
फिर उन बागीचों में चलकर.. एक- दूजे पर हम मरते हैं,
उस प्रेम नदी के झरनें पर, कभी डूब-डूब, फिर तरते हैं
रेलों की उन सीधी पटरियों पर दोनों हाथ थाम गुज़रते हैं,
कभी बेबस होकर हम फिर से..खोनें से इश़्क को डरते हैं,
तुम हाथ पकड़ लो ना आकर..अतीत में हम चलते हैं ♥

- मैत्री 👑


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24 JUN 2020 AT 23:01

इक़ उम्र से मोहब्ब़त का अक़्स मेरी नज़र में महज़ इतना ही है...कि,
तुम याद आते ही नहीं कभी मुझे, मगर तुम याद रहते हो !!!

- मैत्री 👑

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12 JUN 2020 AT 23:11

यूँ तो कई नये मोड़ दिखाता है जीवन..लेकिन,
कोई एक ही बढ़कर, राह-ए-मंजिल हो पाता है,,
ज़िंदगी की दौड़ में हम अक्सर इतना खो जाते हैं िक, रुककर साँस लेना भी बड़ा मुश्किल हो जाता है !!

- मैत्री 👑

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4 JUN 2020 AT 14:13

एक भूखी माँ की भूख को भी तार-तार कर गयी :'(
इंसान की हैवानियत ही,मानवता को शर्मसार कर गयी
- मैत्री 👑

#Justice_for_Mother_elephant 🐘
#Kerala

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31 MAY 2020 AT 12:14

इस भीड़ से भरे ज़मानें में मेरी हस्ती को तलाश कर
कुंदन बना दिया उसनें,बेमोल 'मैत्री' को तराश कर❤

- मैत्री 👑

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26 MAY 2020 AT 0:16

एक धुन थी...एक खनक भी,
एक लय थी...एक साज़ भी..
हर उस बात में, जिसनें हम दोनों को एक बनाया ❤
- मैत्री 👑

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