ये नजारा देख रहीं हुं मैं,
देख देख के सोच रहीं हुं मैं,
कि ये जो नजारा नज़रों में हैं
कैमरे में
कहां क़ैद होगा....-
क्या खोजें तु जिंदगी में, गौर से देखो नज़ारें ये,
येही तो हैं जिंदगी,
जो आस-पास हैं छोटे छोटे खुशीयों के पल सारे ये....
Maitri-
सादगी को तुम्हारी, तुम युंही संभाले रखना
थोड़ी फूलों से मासूमियत,
ओस की बूंदों से,
खुबसुरती तितली से चुराके,
खुद को कुदरत से ही सजाएं रखना.....-
सुलझाया जा सकता हैं,
उलझी हुई बातों को
उलझे हुए जज़्बात कैसे सुलझाएं.....-
अपनों को खोने से
अपनों के पास नहीं होने से
अपनों के रुठने से
अपनों के टूटने से
अपनों की ख़ामोशी से
अपनों की बेरुखी से
अपने मानें हुए गैरों से
गैर हैं जो उन अपनों से
मेरा हर रिश्ता जान हैं मेरी
वोही एक अनोखी पेहचान हैं मेरी
इस लिए मेरे कोई भी रिश्ता पे ज़रा सी आंच आने से
आज़ भी डर लगता है मुझे.....-
मेरे सामने वाली खिड़की में, एक चांद सा टूकडा रेहता हैं
जिस रोज से देखा है उसको, हम शम्मा जलाना भूल गए
दिल थाम के ऐसे बेठें हैं, कहीं आना जाना भूल गए
अब आंठ पेहेर इन आंखों में वो चंचल मुखड़ा रेहता हैं...
मेरे सामने वाली खिड़की में, एक चांद सा टूकडा रेहता हैं
(Small tribute to Kishor da)-
ये जो मोहब्बत है, ये उनका है काम
अरे मेहबूब का जो, बस लेते हुए नाम
मर जाएं, मीट जाएं, हो जाएं बदनाम.....
रेहने दो छोड़ो भी जानें दो यार
हम ना करेंगे प्यार....
(बस नहीं चलता किसी का खुद पे
जब दिखने लगता है रब तुम्हें उसमें)-
तो फिर ठीक हैं,
हम भी आपको हमारी कविताएं सुनाते हैं
जो करीब हैं हमारे दिल के वही बताते हैं.......-
हर दुःख सुख को साथ ही है सेहना
चाहे जो भी हो जाए, हमेशा मुस्कुराते रेहाना
साथ होना हमारा ये ही तो है जीत हमारी
मुश्किल वक़्त में भी हिम्मत बनाएं रखना,
कभी उदास ना होना.......-