तुम मिलना तो फुर्सत से मिलना मुझे,
यूँ भरे हुए लोग मुझे अच्छे नहीं लगते!!!
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28 MAR 2022 AT 10:56
27 MAR 2022 AT 23:42
कैसी है नाराजगी, कैसी ये दुरियां हैं ,,
कुछ वक़्त का खेल है, कुछ अपनी मजबूरियां हैं!!!-
17 MAR 2022 AT 23:00
काफी है एक मकां मेरा, तुम महल बनाते रहो
गाँव मे खुश हूँ मैं, तुम शहर बसाते रहो-
27 DEC 2021 AT 23:39
देखा मैंने उसे, एक नज़र भर के,
ख़्वाब पूरे हुए मेरे, इस उमर भर के !!!-
21 JUL 2021 AT 10:56
वक़्त बेवक़्त बादल जाते है लोग,सब के सब खोखले हैं,
इंसानो से तो बेहतर साहब यहाँ चिड़ियों के घोसले हैं...-