Mahjabeen Tabassum   (✍️ Mahjabeen Tabassum)
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Joined 18 June 2021


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Joined 18 June 2021
13 NOV 2024 AT 15:05

मिलेगा तुमको दुलार मां से।
पूरी करें आरज़ू उनकी दिल से।

हर मोड़ पे साथ जुड़े रहो मां से।
सुकून ही सुकून मिलेगी उन से।।

न शिकवा न गिला, दिलजोई करो मां से।
समझ लो कुल काएनात है बस उन्हीं से।


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21 OCT 2024 AT 23:52

दिल है तो दर्दे दिल होना लाज़िम होगा।
तभी तो कभी जश्ने ईद भी वाजीब होगा।

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18 OCT 2024 AT 10:52

رام کے نام پر رامن بنے بیٹھے ہیں اِس کل یوگ میں۔
اُسے کیا سمجھ آئے جسکے دِل میں چشمِ رام کے نہیں۔

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10 OCT 2024 AT 16:53

यादों के घर में क्यों ? बातों की बौछार होती है।
सतरंगी ज़िंदगी में हाय ! क्यों सांसों की हार होती है।।

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19 AUG 2024 AT 15:30

Shadi kb karoge Bhai، sb se Rakhi hi bandhwa rahe ho.
Abki baar bs mujhe bhabhi ji ke hatho saughat chahiye.

شادی کب کروگے بھائی، سب سے راکھی ہی بندھوا رہے ہو ۔
ابکی بار بس مُجھے ،بھابی جی کے ہاتھوں سوغات چاہئے ۔

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13 AUG 2024 AT 23:47

कभी तेरे बिन जिऊं ये सोचकर,जैसे रूह मेरी निकल जाती है।
कभी आए ना दिन ऐसा रब्बा , तुमने ये मेरी जोड़ी बनाई है।।

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26 MAY 2024 AT 8:57

लालच से रहीगा जनाब दूर ।
है ये बेकार दिल का फतूर।
इसे ना बनाए समाज में दस्तूर।
कहीं बन न जाए ख़ुद का नासूर।

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1 APR 2024 AT 7:46


जैसे आसमान के तारे टिमटिमाते नज़र आते हैं।
वैसे ही ये तबस्सुम हमारे कभी ख़ास आते हैं।।

कभी आश तो कभी निराश सब रुत आते जाते हैं।
कि ज़िंदगी बड़े अनमोल है ये सब जानते हैं।।

थम के चलना ऐ ज़िंदगी कि हम तुझ में समाते हैं।
वक्त के साथ ही हम तेरे पास रास आते हैं।





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15 MAR 2024 AT 20:59

क्यों ? नाम बड़े हाय पर दर्शन छोटे।
जैसे हाल हुआ बेहाल बिन पेंदी के लोटे।।

ऐसे हैं अब जग में अंध विश्वास छोटे मोटे।
हुआ घोटाला ,रह गए सिक्के खोटे खोटे।।

शायद इस सिक्के से बने चांदी मोटे मोटे।
पर लुट गई बुद्धि रह गए सोने खोटे खोटे।।






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13 MAR 2024 AT 21:05

सोचता हूं रब्बा ,कि हाय इस दुनियां में क्यों लाया गया हूं।
अब इंसानियत न बची यहां,बस खिलौने में बहलाया गया हूं।

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