बादलों सा यूं आवारा बना
बेबाक सा मनमर्ज़ी में एक नज़ारा बना
कभी हंसते दिलों का सुकून तो
कभी रस्मों को यूहीं निभाता बना
कभी किसी के दर्द का सहारा बना
तो कभी गिरते आसुओं का फ़साना बना
कभी किसी का रहगुज़र तो
कभी किसी का हमसफ़र बना
मुख़्तसर सी मोहब्बत का ज़रिया बना
मुकम्मल से इश्क़ का तरीक़ा बना
कभी बेबाक, कभी सुकून,
फ़साना तो कभी नज़ारा बना
बादलों सा यूं आवारा बना
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