_सुमित्रानंदन पंत
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उद्देश्य मात्र अधिकारी नहीं लोकसेवा मूल प्रयोजन है।
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मत होना उदास गर कभी तू गिर जाए
मत रुकना गर कभी संकटों से घिर जाए।
_महिमा ठाकुर-
मेरी लिखावट मेरा हौसला है कमजोरी नहीं बनने दूंगी।
चाहे कैसा भी काल आ जाए मैं लिखना नहीं छौडूंगी।।-
ज़िन्दगी तुझे जीने लगा
एकाग्रचित रहने लगा
मुस्कुराहट को पहचान बना
ज़र्रे ज़र्रे से खुशियां समेटने लगा!-
बहुत सारे सवाल हैं ज़ेहन में उनसे बात करनी है
हां मुझे खुद से ही मुलाक़ात करनी है!-
ज़िन्दगी में कैसी भी परिस्थिति हो
असहन सी पीड़ा हो या
दुर्गम मार्ग प्रतीत हो,
अंधेरे रास्तों में भी जो
हिम्मत बांधकर
खड़ा रहे वो नाम है
'एकांश' !
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इनको पढ़ने से हमेशा
कुछ सीखने मिल जाता है,
'हर्षिता' का लिखा हर विचार
मन खुश कर जाता है !!-
लोक सेवा नस - नस में है
प्रशासन में जाने का ख़्वाब है!
प्रेम, पीड़ा, करुणा, प्रेरणा
कृति में सुसज्जित हर भाव है !
नाम इनका 'आशीष' है
और सीधा सरल स्वभाव है !!-