mahima gangwar   (शागिर्द)
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Joined 27 March 2019


Joined 27 March 2019
19 APR 2023 AT 18:31

हम रहते है इतनी तहों में
की एक चारदीवारी की इमारत में लगवाते है एक आयतकर दरवाजा जिससे बहुत ज्यादा तो हमारी ख़्वाब की गाड़ी पार हो जाए
खिलौने के तौर पे बनवाते है एक चौकोर खिड़की
जिससे रोशनी और ताजगी चुटकी भर मात्र आ सके
कुछ शौकीन लोग लगवा लेते है एक नाममात्र का रोशनदान
हर तरफ ऐसा चैन ओ सन्नाटा है
की इस बात की कल्पना मुश्किल है
की किसी अस्पताल या दफ्तर में जाग रहे होंगे लोग
किसी टपरी में जल रही होगी लौ
कोई मेरी मिट्टी मेरा कर्त्तव्य का विचार लिए ठंड को चीर रहा होगा कोई पानी निहार रहा होगा
या सड़क पे होगा सन्नाटा से बेखौफ


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4 MAY 2022 AT 23:48

जब देने को कुछ ना हो तो तुम फूल देना
जब कहने को कुछ न हो तो तुम फूल देना
जब भाव इतना हो कि कोई शब्द या अलामात संभव न हो तब भी तुम फूल देना।
लाल पीला बैंगनी या गुलाबी सफेद या मटमैला
चाहे जो भी रंग हो
मन को सभी कलियों से किलकारियां उठती है
लेकिन फूल तोड़ना मत
बल्कि मुझे साथ ले चलना उसके पास
हो सके तो उसे चुनना
ज़मीन पर पहुंचने के कुछ क्षणों में
या उसके डाल से बिछड़ते ही


मैं रखूंगी उन फूलों को संजोकर
तब भी जब उनमें रंग ओ बू नहीं बचेंगे ।
- शागिर्द

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11 NOV 2021 AT 3:09

प्रेम का लिटरेचर फरेब है शायद ;
अक्सर ही , लेखकों ने कल्पनामात्र की और
प्रेमियों ने सिर्फ प्रेम किया और कुछ नहीं कर सके।

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17 OCT 2021 AT 12:16

अजीब कमाल करते हो यार तुम
औरत से लल्ला और
भैंस से पड़िया चाहते हो तुम।

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10 OCT 2021 AT 23:06

हम सारी जान तुम पर लूटा तो दें
लेकिन बाकी काम कौन करे।

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27 SEP 2021 AT 2:34

अब लगा लिया दिल तुमने तो संभलिए हुज़ूर
हमारा तो इरादा था कि हांथ मिलाया जाए ।

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21 AUG 2021 AT 1:33

बड़ी नाज़ुक सी डोर दिखती है
बड़ा पुख़्ता सा जिसमें रिश्ता है...

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1 AUG 2021 AT 14:56

पत्थर होने की कोई सीमा नहीं होती
कुछ पत्थर हीरा होते है।

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24 JUL 2021 AT 1:30

"दिनचर्या को विराम देने से पहले के पल
वो चंद पल;
आज को पूर्ण करने वाले पल
अगली सुबह को निर्देशित करने वाले पल
अंतर्मन के सबसे करीब विचरने वाले पल..."
लोगबाग कृपया ध्यान दें,
अपने कीमती सामान की देखभाल स्वयं करें
उसके संपर्क में आने वालों पर नजर रखें
अपनी कीमती चीज औरों के हवाले न करें ।

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28 JUN 2021 AT 2:15

किसी को सुंदर लिख पाना
अपनी खुशियां कह पाना
दुख को लिखावट दे पाना
एहसास को कविता में पिरोना
या कहानी सा सजाना

ऐसी तकल्लुफ हरगिज़ नहीं होनी चाहिए
गहरे पानी की तरह
कलम और पन्ना शांत होना चाहिए ।

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