इंसानी दिल वो बाग़ है
जिसमें हर वो पौधा उगता है
जिसे बढ़ावे की खाद मिलती है।
यहाँ खिलती हैं मोहब्बत की कलियाँ भी
महकते हैं भरोसे के फूल भी,
पनपती हैं संदेह की झाड़ियां भी
और उगते हैं शक़ के बबूल भी।
और इंसानी दिमाग??
इंसानी दिमाग माली है
इस बाग़ का;
वो जो चाहे उगा ले इसमें,
देकर
अपनी तवज्जो की खाद!
-