Mahima   (माही)
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Joined 26 January 2019


Joined 26 January 2019
26 APR 2022 AT 0:22

तुम मेरे लिए क्या हो
मैं कैसे बयां करूं
सीता के लिए जो राम थे
मीरा के लिए जो श्याम थे
राधा के लिए जो कृष्ण थे
सती के लिए जो शिव थे
माही के लिए वो ही अंकित है ।

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4 OCT 2020 AT 16:14

वो कहती है मुझ में तो कुछ खास नहीं
उसे समझाओ यारो
एक शायर की मोहब्बत है वो...

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25 SEP 2020 AT 20:27

मैं हार गई हूं ।

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24 SEP 2020 AT 18:20

प्रेम में असफलता कुछ विशिष्ट तो नहीं छीनती
बस वो माथे की बिंदी बेनाम बेरंग कर जाती है

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23 SEP 2020 AT 22:27

है कौन तू
जो अपमान मेरा करे

विधाता की रचना मैं हूँ
पृथ्वी का केंद्र मैं हूँ
सृष्टि का बल मैं हूँ
श्रेष्ठ कहता है तू
स्वयं को नारी से
क्या रक्त रिसता है तेरी जंघाओं पे
क्या बल है तेरी छाती में वो
क्षीर सागर से बनाये जो जीवन

है कौन तू
जो अपमान मेरा करे

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10 SEP 2020 AT 13:17

आत्महत्या
मन की लहरों का किनारा नहीं,
उमड़ते प्रश्नों का जवाब भी नहीं ।
प्रकृति का नियम है,
चट्टान निराशा की हो अति भारी,
मनुष्य उसे उठा सकता है ।
वो उसे नहीं उठा सकता,
ये केवल एक मनुष्य ही
मनुष्य को सिखाता है ।

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7 SEP 2020 AT 21:01

चाँद को राह क्या दिखा दी मैं अपनी खिड़की की
हर रात मुझसे पहले पहुँच मेरा इंतज़ार करता है

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3 APR 2020 AT 12:24

कुछ पंछी आ कर पूछ रहे हैं
आसमां में उड़ा कैसे जाता है

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21 FEB 2020 AT 17:28

जिन यादों की गठरी बांध कर, किसी कोने में रख दी गई थी,
एक धक्के से केवल, वो आज गिर गई ।
कहीं सबसे नीचे दबी यादें गिरकर सबसे ऊपर आ गई हैं ।
इसे कभी ना कभी तो गिरना ही था.....

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26 NOV 2019 AT 19:56

शब्दों से खेलना पसंद है मुझे
इसीलिये लिखना पसंद है मुझे

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