कुछ मांगा नहीं कभी तुमसे
आज मांगते हैं हम
किमती तोफै की चाहत किसकौ है यहा
हम तो बस थोड़ासा ही वक़्त मांगते है तुम्हारा-
उन आशाओं का किया करें
जिनका कोई मतलब ही न हो
उन सपनों का किया करें
जिनपे अपनों की ही खुशी न हो
ख्वाबों को बिखेर के
अपनों को समेटना है हमें
उन ख़्वाबों को सजा के ही किया करें
जिनसे अपने ही खुश न हो-
Baat baat par muskurate ho kiu
Kabhi kabhi akele me ro liya bhi karo
Warna muskurahat bhi dard dene lage gi
to muskuraoge kis baat par
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Har lamha dekhte rehne par bhi dil nahi hai bharta humara
Lakho chehre ke bich ek usi chehre ko
Dekhta hai dil humara
Jis chehre ke piche dil hai diwana humara-
Tere bina adhuri si lagta hai ye zindegi
Tere bina nahi jina hai ye zindegi
Khuda se ardast yehi hai zindegi ki
Yaa to tere saath uthe maiyat humari
Yaa to tujhse pehle mat ho jay humari
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हसलो को उड़ना था
ख्वाबों को सजाना था
खुद को भी समेटना था
सपनों को भी बुनना था
लेकिन जिदंगी मे
खुद से ज्यादा अपनो की खुशी जरूरी था-
दिल उनके इतनी अच्छी हैं कि
उनके खामिया भी खुबीया लगने लगी
प्यार का रंग इतनी गहरी हैं कि
अपनी खामिया उनसे ज्यादा लगने लगी-
दर्द सहना आदत सी हो गई हैं
मुस्कुरा के रहना फितरत सी हो गई हैं
जीन्दगी का क्या पता
कब साथ छोड़ दे
इसलिए खुश रहना मजबूरी सा हो गई हैं
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आरमान था खुलें आसमान में उडान भरने की
जूनून था कुछ अलग करने की
कोशीश यही रही
अपनी राह खुद बनाने की
मगर
कांटे इतने आए राहों में
की जिंदगी निकल गई अपनी बेगुनाही की सबुद देने में-