Mahi Deep Prakash   (Deep Prakash Mahi)
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The Free thinker, live young live free❣️
Joined 26 August 2019


The Free thinker, live young live free❣️
Joined 26 August 2019
3 MAR 2022 AT 22:09

जो बात मुझमें है वो तस्वीर में नहीं,
जो ख़्वाब दबे हैं तहखानों में, वो तकदीर में नहीं...।

तुझमें जो चाह है मेरी, रंगों का वो अबीर नही,
किये हैं गुनाह तमाम, जिसकी कोई तहरीर नहीं...।

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21 FEB 2022 AT 22:32

उन्नत समय और जिंदगी में संभलने का मौका संभवतः एक बार ही मिलता है, और बिखरने का बार-बार....

बस हमें तय यह करना होता है,
बिखरना है या फिर निखरना....

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6 FEB 2022 AT 22:01

अपने कभी-कभी दूर रहकर, ज्यादा पास महसूस होते हैं।

शायद दूरियां रिश्तों को, परिवार को, या कहें खुद को जोड़ने में ज्यादा कारगर साबित होती है।
बस यूं समझ लीजिए "दूरियां भी जरूरी है"।
❤️

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2 FEB 2022 AT 23:42

"तकलीफ़ होती तब जब अपनी बगिया का सबसे चहेता फूल मुरझाने लगता है"।

"तकलीफ़ होती है तब जब बूढ़ी होती उम्र की झुर्रियां चेहरे को समेटने लगती है"।

"तकलीफ़ होती है तब जब उम्मीदों का दामन, हाथ पकड़ने वाले उंगलियों को खुद से दूर करने लगते है"।

"तकलीफ़ होती है तब जब खुद का हौसला बढ़ाने वाले सपने, आंख खुलते ही टूटने लगते हैं"।

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11 NOV 2021 AT 11:34

पेड़ की शाख से फूल और बीज उम्र पूरी होने पर उसी की ओट में गिर जाते है, जिंदगी का एक अध्याय यही पर ख़त्म हो जाता है।
लेकिन सूखी और मुरझाई कलियां वहीं से नई कोंपलों के रूप में एक नवजीवन को जन्म देती है।

इंसानी जिंदगी का भी यही सिद्धान्त है हर असफलता/अंत के बाद सफलता और जीवटता का आगाज़ होता है। हताश, निराश ना होकर हमेशा नई कोशिश करते रहना ही जिंदगी है।
#जिंदगी_लाइव❣️

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18 OCT 2021 AT 11:43

हर छोटा बदलाव बड़ी कामयाबी का हिस्सा होता है..

बस जरूरत होती है उसे सहेजने की, समेटने की..

संभाल पाए तो अर्श पर, बिखर गए तो फर्श पर...

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12 OCT 2021 AT 19:11

वक़्त भी कितना अजीब है ना जब हम चाहते है हमारा होकर रहे तब हम इसे जाया कर देते है,

जब हम खुद इसका इंतजार करते है, वह हमें इंतजार करवाता है।

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17 SEP 2021 AT 20:40

ऐसे ना बिखेरो इन जुल्फों का जाल, हर किसी की हसरत ये पूरी कर नहीं सकते..।

जिन्हें इल्म होगा इनका वह अपने आप समेट लेगा, बकायदा हुनरमंद हो तो क्या बात है..। 🤩

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5 SEP 2021 AT 8:52

एक शिक्षक काले रंग के ब्लैक बोर्ड से हुई शुरुआत को जीवन भर रौशन कर सकता है।

Happy Teacher's Day..😊👏

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2 SEP 2021 AT 13:45

मौत पर किसका ज़ोर रहा है,
दस्तूर के तौर पर इंसान पहले ही कुदरत से सौदा करके आता है।

और बदस्तूर बिना वज़ह बेउम्र चला जाता है। बस छोड़ जाता है कुछ अनसुलझे सवाल और उलझे हुए रिश्तों की मशाल।
😞

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