जो बात मुझमें है वो तस्वीर में नहीं,
जो ख़्वाब दबे हैं तहखानों में, वो तकदीर में नहीं...।
तुझमें जो चाह है मेरी, रंगों का वो अबीर नही,
किये हैं गुनाह तमाम, जिसकी कोई तहरीर नहीं...।-
उन्नत समय और जिंदगी में संभलने का मौका संभवतः एक बार ही मिलता है, और बिखरने का बार-बार....
बस हमें तय यह करना होता है,
बिखरना है या फिर निखरना....
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अपने कभी-कभी दूर रहकर, ज्यादा पास महसूस होते हैं।
शायद दूरियां रिश्तों को, परिवार को, या कहें खुद को जोड़ने में ज्यादा कारगर साबित होती है।
बस यूं समझ लीजिए "दूरियां भी जरूरी है"।
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"तकलीफ़ होती तब जब अपनी बगिया का सबसे चहेता फूल मुरझाने लगता है"।
"तकलीफ़ होती है तब जब बूढ़ी होती उम्र की झुर्रियां चेहरे को समेटने लगती है"।
"तकलीफ़ होती है तब जब उम्मीदों का दामन, हाथ पकड़ने वाले उंगलियों को खुद से दूर करने लगते है"।
"तकलीफ़ होती है तब जब खुद का हौसला बढ़ाने वाले सपने, आंख खुलते ही टूटने लगते हैं"।-
पेड़ की शाख से फूल और बीज उम्र पूरी होने पर उसी की ओट में गिर जाते है, जिंदगी का एक अध्याय यही पर ख़त्म हो जाता है।
लेकिन सूखी और मुरझाई कलियां वहीं से नई कोंपलों के रूप में एक नवजीवन को जन्म देती है।
इंसानी जिंदगी का भी यही सिद्धान्त है हर असफलता/अंत के बाद सफलता और जीवटता का आगाज़ होता है। हताश, निराश ना होकर हमेशा नई कोशिश करते रहना ही जिंदगी है।
#जिंदगी_लाइव❣️-
हर छोटा बदलाव बड़ी कामयाबी का हिस्सा होता है..
बस जरूरत होती है उसे सहेजने की, समेटने की..
संभाल पाए तो अर्श पर, बिखर गए तो फर्श पर...-
वक़्त भी कितना अजीब है ना जब हम चाहते है हमारा होकर रहे तब हम इसे जाया कर देते है,
जब हम खुद इसका इंतजार करते है, वह हमें इंतजार करवाता है।
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ऐसे ना बिखेरो इन जुल्फों का जाल, हर किसी की हसरत ये पूरी कर नहीं सकते..।
जिन्हें इल्म होगा इनका वह अपने आप समेट लेगा, बकायदा हुनरमंद हो तो क्या बात है..। 🤩-
एक शिक्षक काले रंग के ब्लैक बोर्ड से हुई शुरुआत को जीवन भर रौशन कर सकता है।
Happy Teacher's Day..😊👏-
मौत पर किसका ज़ोर रहा है,
दस्तूर के तौर पर इंसान पहले ही कुदरत से सौदा करके आता है।
और बदस्तूर बिना वज़ह बेउम्र चला जाता है। बस छोड़ जाता है कुछ अनसुलझे सवाल और उलझे हुए रिश्तों की मशाल।
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