इस चराचर भौतिक जगत का काल नियम
न स्थिर हुआ न स्थिर होगा..
जो अद्य आगत है
वह श्व: गमन पथ पर अग्रसर अवश्य होगा..
आवश्यकता मात्र है व्यक्ति को आत्ममंथन करने की
कि प्रति वर्ष में हमनें क्या प्राप्त किया है
और क्या खो दिया है..
यदि सत्य मन से किसी को अलविदा करना चाहते हैं
तो असत्य, असंयम, आलस, अस्वछ्ता ,अनीति,
अकर्म, अपकार आदि को करें
जिससे मनुष्य जीवन सफल बन सके।
नव वर्ष के साथ नव संकल्प के साथ
स्वयं के द्वारा स्वयं की खोज में निकले..
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनोबल का ह्रास न हो।
धैर्य और साहस सदैव बना रहे।
बीते वर्ष के तम को स्व प्रकाश से भरने का प्रयत्न करें।
नीतिगत और प्रेरणादायी विचार मस्तिष्क में सदैव स्मरण रहे।
इन्हीं ऊर्जावान शब्दों के साथ सभी को
नूतन वर्ष की अनंत शुभकामनाएं।।
- माही
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