तुमसे प्यार हुआ है ,पतझड़ में बहार हुआ है !
जीने की हसरत जागी,चेतना संचार हुआ है !!
बुझते दिल में एक चराग उम्मीदों का जला है ,
अब मंज़िल दूर नहीं ख़ुद में एतबार हुआ है !!
जंज़ीरें कोई बाँध सकती नहीं , हौसलों को !
बाधाएँ कभी बदल सकती नहीं ,फैसलों को !!
मौत ! मात देने का माद्दा रखती नहीं हमको ,
खोने को नहीं जब कुछ ,क्या छिनेगी,हासिलों को !!
पसरा था जो सन्नाटा ,प्यार की गूँज में खो गया !
मायूसी के आलम में ,बीज आनंद के बो गया !!
मृतप्राय ही थी संवेदना ,मर्माहत थी हृदयवेदना,
जीने की हसरत जगा मीत! नैन ख़ुशी से भिगो गया !!
-MaheshKumar Sharma
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