MaheshKumar Sharma   (MaheshKumar Sharma)
1.5k Followers · 129 Following

Joined 21 October 2020


Joined 21 October 2020
9 HOURS AGO

मैं क्यों दोष दूँ किस्मत को ,क्यों कोसूँ जवानी को !
अफ़सोस में वक्त जाया न कर फ़िर लिखूं कहानी को !!
यह जीवन है ,ये चक्र जीवन का पौरूष से चलता है ,
कर्म की पूँजी में टटपूँजिया लाभ देखता न कि हानी को !!

रब की मेहरबानी हो तो अपात्र बन जाता पात्र,अनुदार !
उसकी कृपा दृष्टि से बदलता मौसम ,प्यार का दायरा !!
रहमत में होता है विशिष्ट भाव आदर और सद्सम्मान,
समादृत कर ,कर सकेंगे अपना दायित्व निर्वाह सारा !!

-MaheshKumar sharma





-


YESTERDAY AT 6:08

मैंने कुछ सपने संजोए है ,बीज नवभविष्य के बोए हैं !
जो जगाते हैं ,चलाते हैं,कर्तव्य पथ पर अथक मुझे ,
जिन्हें साकार करने को अपना चैन-औ-सुकून खोए हैं !!

सपने ही तो हैं जो जिन्दगी को देते हैं नवीन आयाम !
सपनों को साकार करने हेतु हम भूल जाते सब काम !!
सपने देखना बुरा नहीं पर शेखचिल्ली बनकर नहीं ,
उम्मीद हकीक़त के रंग में रंगे तो ही पाती सही मुकाम !!

असफलता,असहयोग प्रायः निराशा ही भरते जीवन में !
मैंने सुनहरे सपनों से किनारे कर दिया इन सभी को !!
सपनीले इन्द्रधनुष में कहाँ मिला बदरंगों को स्थान ?

पल्लवित पुष्पित होंगे बीज सभी जो मन से बोए हैं !
पूर्णआशान्वित हैं साकार होंगे सपने जो संजोए हैं !!

-MaheshKumar Sharma



-


30 APR AT 22:57

जीवन के प्रति सकारात्मक भाव जगाती उम्मीद !
यकीन कीजिए हरहाल में मिलना ही है तुम्हें दीद !!

उम्मीद खत्म हो जाए तो यह जीवन बोझ ही होगा !
विश्वास की पूँजी से अर्जित लाभ अक्षय ही होगा !!

यकीन मानिए प्यार कर रहा है आपका ही इंतजार !
उम्मीद है फिर आएगी फसलेबहारा लेकर रंग हजार !!

-MaheshKumar Sharma













-


29 APR AT 23:42


कर्तव्य कर्म से विमुख मनुज घबराता है !!
पीर से पीड़ित मन शांतिछोर तक जाता है !!

किसी के हौसले में पलती,अब तो जिन्दगी !
दूरिया बढ़ने से घट रही प्यार की जिन्दगी !!

फिलहाल शान्त दिखता है नीलाभ गागर !
गहराई दर्द के सागर की कोई देखे आखिर !!

प्यार है हां प्रश्न है किसे परवाह ,मन तौलिए !
ठहरा पानी कौंध रहा है अभी उम्मीदें जिन्दा है !!
-MaheshKumar sharma













-


28 APR AT 22:33

तुमसे प्यार हुआ है ,पतझड़ में बहार हुआ है !
जीने की हसरत जागी,चेतना संचार हुआ है !!
बुझते दिल में एक चराग उम्मीदों का जला है ,
अब मंज़िल दूर नहीं ख़ुद में एतबार हुआ है !!

जंज़ीरें कोई बाँध सकती नहीं , हौसलों को !
बाधाएँ कभी बदल सकती नहीं ,फैसलों को !!
मौत ! मात देने का माद्दा रखती नहीं हमको ,
खोने को नहीं जब कुछ ,क्या छिनेगी,हासिलों को !!

पसरा था जो सन्नाटा ,प्यार की गूँज में खो गया !
मायूसी के आलम में ,बीज आनंद के बो गया !!
मृतप्राय ही थी संवेदना ,मर्माहत थी हृदयवेदना,
जीने की हसरत जगा मीत! नैन ख़ुशी से भिगो गया !!

-MaheshKumar Sharma











-


27 APR AT 23:42



भला कब तलक ख़ुशियाँ हमसे रुठेगी !
इन अंधेरों से उम्मीद की रोशनी फूटेगी !!
मायूस हो बैठने से निकलेगा न हल कोई ,
सिंहावलोकन करों कैसे जंजीरे ये टूटेगी !!

-MaheshKumar Sharma



-


27 APR AT 15:21




दौलत नहीं शोहरत नहीं फ़कत प्यार की दरकार है !
अकूत प्यार मिलता है ज़हाँ वफ़ा और एतबार है !!

नज़र की खूबसूरती से हर शय खूबसूरत होगी !
सच्ची बंदगी से ही प्रक्ट पाषाण में मूरत होगी !!

ये जर्रा-जर्रा रोशन है ,य़ार रब के ही नूर से !
मन का ही सारा संशय है ,देखों पास या दूर से !!

समत्व रखेंगे हम सदा ही ,हार में भी जीत में भी !
चलें ख़ुशियाँ साथ साथ वहाँ रीत में भी प्रीत में भी !!

दौलत-शोहरत न लिख पाती,पाती कभी भी प्यार की !
वफ़ा-एतबार ने लिखी है ,कहानी सुखद संसार की !!

-MaheshKumar Sharma










-


26 APR AT 20:57




आता था मज़ा शरारत करने में भरपूर कभी !
वो वक्त जा चूका हमारी नज़रों से दूर अभी !!

एक-से विचार मिलकर सोचते थे शरारत नई !
मस्ती ले आ जाती थी अनचाही शामत कई !!

शरारतों की शुरुआत में होती थी पहेलियाँ भी !
पेचीदगियों में होते थे हल और अठखेलियाँ भी !!

अब शरारतें सामान्य न रही,बदलती रोज बही !
खेद व्यक्त करना तो दूर ,कहते हैं हम ही सही !!

किसी का दर्द समझ सकें,साथ उसका दे सकें !
कि शरारत में भी मुस्कान द्विगुणित वे कर सकें !!

आ ! प्यार में फ़िर शरारतों की शुरुआत करते हैं !
उदासी ने डाला जो घेरा ख़ुशियों से मात करते हैं !!

-MaheshKumar Sharma










-


25 APR AT 22:27

तुम्हें यकीन न हो तो देख लो आइने में !
मेरी पसंद लाजवाब़ हो सही मायने में !!

कम आंकना मेरी पसंद को ठीक नहीं है !
हीरे और कोयले का भेद ..सटीक नहीं है !!

आसानी से भूलेंगे नहीं तुम्हारी यादों को ,
यूँ दिल से भूलाना हमें... सुरीत नहीं है !!

सुहृद होकर भी यह कलुष बर्ताव क्यूं है !
दर्द नहीं ,एहसास नहीं फिर ये भाव क्यूं है !!

हर सवाल में हो ,मेरी नींद और ख्वाब़ में हो !
हसीं शबाब,मस्त गुलाब मेरी पसंद लाजवाब़ हो !!

-MaheshKumar Sharma


-


25 APR AT 18:00








संवेदनाएं सुप्त होती है ,मरती नहीं !
अनुकूलन पाकर हरित हो जाती है !!
दिल की बस्तियों को सौगात वफ़ा की -
मिलें अगर आबाद त्वरित हो जाती है !!

-MaheshKumar Sharma




-


Fetching MaheshKumar Sharma Quotes