मित्रता, प्रेम और ज्ञान के अखाड़े में
उम्र की सीमा नहीं होती।
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गोड़ नाही बोलले तरी चालेल..
पण,
तिळ-गूड़ अवस्य घ्या.
आपनास
मकर संक्रांतीच्या शुभेत्छा
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नफ़रत कि आग को पनाह ना दें
वर्ना दिल जल के रह जायेगा..
प्यार देना सिख दुनिया को,
राज तेरा दिलों पे रह जायेगा..-
मनुष्य दु:खी भी सोच से होता है
और सुख भी सोच से ही पाता है,
ज़रुरत,यदि लालच का रुप धरें तो दु:ख
और संतुष्टी का रूप धरें तो सुख देती हैं।
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आपके
मन को प्रशन्न रखें
तन को तंदुरुस्त रखें
धन का विस्तार करें
एवं जीवन को आनंदमय
🌷बनाएँ..🌷
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हर वो सक्स जो खूद से मिला,
मन हि मन बोला
सफ़र में हूँ ,मुसाफ़िर मैं अकेला!-
बड़ी शिद्दत से भरी थीं परवाज़ परींदे ने मग़र,
बादलों को रश्क हुआ और ओले बरस पड़े!-
मन एक सरोवर कि तरह है जिसमें निरंतर
विचारों कि लहरें चलती रहती हैं।
अत: विचारों को चींता के बजाय चिंतन का रूप देना लाभदायक होता है।
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ईश्वर से प्रार्थना हैं के वो सिर्फ़ आँखें हि न दें,
साथ में आँखों को ऐसी आदत भी दें की वो दुसरों की खूबीयाँ भी देख सकें!
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पान-गुटखा के शौकीन प्रेमी को हंसा-हंसा कर
प्रेमिका ने,दातों का परीक्षण कर लिया!
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