Mahesh Vish   (engg_civil96)
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Joined 19 April 2018


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Joined 19 April 2018
24 JAN 2022 AT 22:16


🌸।।नारी प्रेम।।🌸
वो सरगम की सात सुरो सी,घर की शान अम्मा,बाबा,मम्मी,पापा का अदना सा अभिमान सतरंगी सी दुनिया उसकी सतरंगी सी शान,अतुलनीय मुखमण्डल आभा,अतुलनीय मुस्कान।जैसे ही वह बड़ी हुई,माँ की ममता संस्कार बनी।वह नन्ही सी स्वर्णपुष्प,घर इज्जत का आधार बनी।उसकी शिक्षा दीक्षा का,अब कार्य पूरा होना है जिस घर की रौनक थी,वो घर पराया होना है। अब उसका ये जिवन,केवल भाग्य कि रेखा है। फुल मिलेंगे या कांटे,ये कब किसने देखा है। किसी गरीब के घर जाकर,रानी सी वो जिलेगी। कही राजाओ के महलो मे,घुट जहर का पी लेगी।उसका अब सम्मान टिकेगा,उसके जीवनसाथी पर,जैसे ज्योतिपुंज टिका हो,दिप कपास की बाती पर। हर रंग मे वो ढल सकती है,थोड़ा सा सम्मान तो दो,समर्पण की इस मुरत को थोड़ी सी पहचान तो दो।
🌸💐🙏

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8 NOV 2021 AT 18:07

अपनी अच्छाई पर मै क्या
गुरुर करु,किसी के कहानी
मे गलत मै भी हु शायद....!!!

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1 NOV 2021 AT 21:51

खो देने के बाद ख्याल आता है।
कितना कीमती था,वो इंसान,
वो समय और रिश्ता.....!!!
✍🏻

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26 OCT 2021 AT 11:53

At my funeral don't cry...!!!
I have been dead inside for
A long time.

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19 OCT 2021 AT 10:45

डिग्रीया तो आपके पढाई
के खर्च की रशीदे है,
ज्ञान वही है जो आपके
किरदार मे झलकता है।

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23 SEP 2021 AT 12:53

राख की कई परतो निचे
तक देखा.....!!!
पर अफसोस वो गुरूर वो रूतबा,
वो पद कही नजर नही आया...
जो सारी उम्र ओढे बैठे थे।

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13 JUL 2021 AT 17:54

मेरे जनाजे पर लिख देना साहब,
मोहब्बत करने वाला जा रहा है।

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19 APR 2021 AT 13:13

सब सही होते हैं आजकल...
इसलिए खुद को गलत समझता हूँ।

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25 FEB 2021 AT 14:31

बचपन में जहाँ चाहा हस लेते थे
जहाँ चाहा रोते थे,
पर अब मुस्कान को तमीज चाहिए
और आँसु को तन्हाई..!!!

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1 FEB 2021 AT 0:14

वहम था मेरा की सारा बाग अपना है,
तुफान के बाद पता चला....
सुखे पत्ते पर भी हक हवाओं का था।

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