Mahesh Rathore   (Mahesh Rathore)
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Joined 12 March 2018


Joined 12 March 2018
21 MAY 2020 AT 23:30

The leaf falls,
The tree stands...
The tree falls,
The grove stands...
The grove is finished,
The forest remains...
We are a forest....
And we think we are a leaf
We are afraid of...
Turning yellow
Loosing our green
And falling... finished.

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24 JAN 2019 AT 7:49

नास्ति धर्मसम: सखा।
(धर्म के समान कोई मित्र नहीं)

~ चाणक्य

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12 JAN 2019 AT 10:41

Strength is Life, Weakness is Death.Expansion is Life, Contraction is Death.Love is Life, Hatred is Death.

शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है.

- Swami vivekananda

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11 DEC 2018 AT 20:26

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं॥

~ शिवमंगल सिंह 'सुमन'

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8 DEC 2018 AT 20:33



चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है || ध्रु ||
हर शरीर मंदिर सा पावन हर मानव उपकारी है
जहॉं सिंह बन गये खिलौने गाय जहॉं मॉं प्यारी है
जहॉं सवेरा शंख बजाता लोरी गाती शाम है || 1 ||
जहॉं कर्म से भाग्य बदलता श्रम निष्ठा कल्याणी है
त्याग और तप की गाथाऍं गाती कवि की वाणी है
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा निर्मल है अविराम है || 2 ||
जिस के सैनिक समरभूमि मे गाया करते गीता है
जहॉं खेत मे हल के नीचे खेला करती सीता है
जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है || 3 ||

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6 NOV 2018 AT 22:30

असतो मा सद्गमय। 
तमसो मा ज्योतिर्गमय। 
मृत्योर्मा अमृतं गमय। 
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्ति:

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14 SEP 2018 AT 7:54

'हिन्दी'

हिंदी के बारे में सोचते वक्त मेरे मस्तिष्क में कई सारे विचार उत्पन्न होते हैं, और इन सब विचारों को एकत्रित करके मुझे एेसा लगता हैं कि...

अगर संस्कृत कोई प्राणी है तो हिंदी उसकी अंतरात्मा

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5 AUG 2018 AT 10:55

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संघर्ष पथ पर जो मिले
यह भी सही वह भी सही,
वरदान माँगूँगा नहीं।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना
मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं,
वरदान माँगूँगा नहीं।

(शिवमंगल सिंह 'सुमन')

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30 JUL 2018 AT 15:43

उठो… जागो… और लक्ष्य प्राप्ति तक रूको मत !!
~ स्वामी विवेकानंद 

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17 JUL 2018 AT 16:21

तुम्हारा यू रूठना और रूठ के यूं इतराना...
सचमुच किसी प्राकृतिक आपदा से कम नहीं,
मेरे लिए...

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