22 JUL 2017 AT 0:16

लम्हों ने खता की थी
सदियों ने सजा पायी।
काश!
उस पल में इक लम्हा और जी गया होता मैं
आज बैसाखी सा किसी कोने में न पड़ा होता..।

- महेश "माही"...✍️