Mahesh Kumar Sharma   (Mahesh Kumar Sharma)
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Joined 21 October 2020


Joined 21 October 2020
10 HOURS AGO

सरहद पे रणवीरों ने जौहर अपना दिखलाया है !
धरती से अंबर तक परचम तिरंगा फहराया है !!
राह-ए-जुनून पे बढ़ चले वीर जवान कफ़न बाँधे ,
मातृभूमि हित सर्व समर्पण का अवसर आया है !!

बिजली जिनकी भुजाओं में ,मुख से शोले बरसते हैं !
दिग्दिगंत थर्राते है ,रणबाँकुरे जब रण को निकलते हैं !!
हिम्मत जिसने की ऑंख उठाने की,हमसे टकराने की ,
बख़्शा नहीं उसको हमने जड़ और मूल से मिटाया है !!

जरा भी परवाह नहीं हमको जीवन की हम रहे या न रहे !
आन-बान-शान वतन की हर हाल में रहना ही चाहिए !!
य़ारों हृदय नहीं पत्थर है वो जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ,
धड़के देश के लिए दिल,रक्त धरा हित ही बहना चाहिए !!

-Mahesh Kumar Sharma
9/5/2025



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8 MAY AT 19:46

कहीं किसी रोज़ मिलो ,
कि कह सके दिल के हालात तुमसे !
जो रह गए थे अधूरे ,
बयां कर सके 'वो' जज़्बात दिल से !!

नज़रे जो मौन है मुखर हो जाएं !
मिलन को बेताब है ,तन्हा दिल ,
तन्हाई में गूँजे स्वर शहनाई के फ़िर ,
दिल से दिल की बात अगर हो जाएं !!

चुप न रहे कहे खयालात दिल के !
यूँ सहेंगे कब तक विरह के दंश य़ार !!
कहीं किसी रोज़ मिलो ,संग चलो,देखो ,
वफ़ा के रंग में रंग के ,जज़्बात दिल के !!

-Mahesh Kumar Sharma
8/5/2025


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7 MAY AT 18:22

मैं ,तुम और शाम तीनों ख़ामोश पर ...
तन्हाई हमारे दरम्यां की कुछ कहती हुई ,
शीतल मंद हवा गीत प्रीत के गुनगुनाती हुई !

उठकर नज़र गिर रही बार-बार क्यों ,
ये शर्म-औ-हया,ये बेक़रारी ,इंकार नहीं,इक़रार नहीं ,
समझूं क्या ये इंगित प्यार के -
चुप-चुप रहूँ कैसे ,
दिल में उठती हूक पर मुख से फूटती न पुकार क्यों ?

हर एक साज़ चुप है ,मगर धड़कनों में शोर है-
लब ख़ामोश हैं पर ऑंखें बोलती दिल की बात ,
छिपाएं नहीं छिपती दिल की ये बेताबियाँ अब ,
खिंचा जा रहा चित तेरी ओर ,तू ही तो मेरा चितचोर है !!

मैं,तुम और है ये शाम कहें अब तो जज़्बात दिल के ,
गुज़र जाए न हसीं लम्हें ,आओं चलें संग मिल के ,
यूँ बैठे न होगी गुज़र ,मुरझाए न गुल उदास से -
लहरा दें परचम प्य़ार के ,मुस्कुरा भी दें आओं खिल के !!

-Mahesh Kumar Sharma
7/5/2025




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6 MAY AT 21:52

तेरी मुस्कान की छाया आशीष बनी मेरी !
तेरे हाथों का स्पर्श महसूसता इन शिराओं में !!
न पास है न दूर है ,हर साँस में एहसास तेरा ,
मेरी निशानी तू ही है तू ही तो पहचान मेरी !!

घर के ऑंगन में खड़ा तुलसी का यह बिरवा ,
माँ की ममता की महक दे रहा मुझको सतत !
प्रेम का पावन नाम तेरी यादों का लिखा यहाँ ,
एक पेड़ माँ की याद में ,अनुभूति की खान मेरी !!

रात के सन्नाटे में गूँजती है वो लोरी अब भी यहाँ !
पास उसके थपकी सी लगती ऑंखें भर आती है !!
चली गई छोड़कर तू फिर भी तेरी यादें महकाती है ,
तेरी हर निशानी संभाली है तेरी सीखें मेरी थाती है !!

-Mahesh Kumar Sharma
6/5/2025


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5 MAY AT 22:44

सपनों से सजा होता था मन आँगन कभी ये !
गुंजती थी मधुर गुंजार हर पल तुम्हारी यहाँ !!
अब पसरा है मरघट सा सन्नाटा कोने कोने में ,
न परछाई न यादों की शेष कहीं ख़ुमारी यहाँ !!

ऑंखों में उम्मीदों के जलते दीप भी बुझ गए !
अब दिल नहीं बाँधता मिलन के मंसूबे य़ार !!
न जुड़ने की तासीर न धड़कनों में रवानी रही ,
साँसे चलती है जीवन ठहरा है खोया है क़रार !!

दिल नहीं मानता कि लौट आएगी दस्तक फ़िर !
नाउम्मीदी के घेरे हैं ,घुप्प अंधेरे हैं,ग़ुम सवेरे हैं !!
आवाज़ें ख़ामोश है यादों के आईने पे धूल पड़ी ,
न शिकायत न इंतज़ार न हसीं स्वप्न दिल में ठहरे हैं !!

-Mahesh Kumar Sharma
5/5/2025







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4 MAY AT 22:53



उदास है चाँद आज अशांत भी लग रहा !
संघर्षों की अगन से मन भी दग्ध लग रहा !!
तारे भी ग़मगीन हो मौन साधे खड़े हुए ,
दंश ऐसा भी क्या दिल में रह-रह चुभ रहा !!

तेरी उदासी महसूस हो रही यहाँ मुझे भी !
काश ! कह देते कारण खिन्नता का मुझे !!
कहने से ही चलता है पता तकलीफ़ों का ,
शायद बता सकूं दुःखों का समाधान तुझे !!

ये कैसा अंधेरा तारों की बारात होते हुए भी !
अंतर में तन्हाई हज़ारों हज़ार साथ होते हुए भी !!
यूँ घूँटकर रहना चुप चुप हो खोए रहना ठीक नहीं ,
बैठो न निढाल यूँ सक्षम सबल हालात होते हुए भी !!

-Mahesh Kumar Sharma
4/5/2025












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3 MAY AT 22:55


रहे कायम फूलों सी तेरी मुस्कान !
बनी रहे चाँद तारों सी तेरी शान !!
तेरी आवाज़ में है ,एक कशिश ,
उलझती जिन्दगी में एक समाधान !!

तेरी ऑंखों में हैं एक जादू विशेष !
बुलाकर पास देता है,प्रीत संदेश !!
उड़ाती है निंदिया माथे की बिंदिया ,
आकर छ्त पे देखता मुझे निर्निमेष !!

गुदगुदाती तेरी यादें मधु यामिनी संग !
सिखाती आपदा में जीने के नव ढंग !!
तुझे नज़र न लगे बद्दुआएं दूर ही रहे ,
खिलते रहे संघर्ष में सफलता के रंग !!

दुनिया की बुरी नज़र से ख़ुद को बचा ले !
तुझ को नज़र न लगे मन को ऐसी नज़र दे !!
यादों की मधुर चॉंदनी में ,रागों की रागनी में ,
नाम तेरा गूँजे फिज़ा में ,जज़्बों में वो असर दे !!

-Mahesh Kumar Sharma
3/5/2025



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2 MAY AT 23:37

पलकें उठी तो गिरी नहीं खो गई तिलिस्म में उसके !
ये कैसी निगाह मिली कि ख़ुद का पता नहीं ख़ुद को !!
न पहचान कोई न नाता कोई उस अजनबी से हमारा ,
पाकर एक झलक प्यार की हम दिल दे बैठे बुत को !!

वो आँखें थी या कोई जादू जिन्हें देखकर हुए बेकाबू !
बँध गया एक बंधन अंजाना किया उस नज़र ने जादू !!
वो पहली नज़र का प्य़ार रुह तलक उतर गया ,य़ार !
कड़वाहट मिठास में बदली बन गई जिन्दगी सुस्वादु !!

ये पहली नज़र का प्य़ार बिन बोले सब कह जाता है !
अंजान राह का मुसाफ़िर क्यूं अंजान संग बढ़ जाता है !!
ये मुस्कुराहट ,ये कशिश ,ये मासूमियत का राज़ अभेद ,
डूबा जो इस भंवर में प्रीत सागर से पार वही पाता है !!

-Mahesh Kumar Sharma
2/5/2025










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1 MAY AT 23:15



धूप से तपकर बह रहा पसीना अविरल !
माटी को सोना बनाता 'वो'पल प्रतिपल !!
मेहनत से बना रहा स्वप्नों को हकीकत ,
संतोष ही धन उसका आज और कल !!

जोड़कर ईंटे दीवारें बना,हल जोत फसल उगाता !
जीर्ण हटा गढ़ नवीन ,बनता श्रमिक कुशल प्रवीण !!
सुबह से शाम तक ,मेहनत से कतराता नहीं मज़दूर ,
लिखता कर्म कौशल से नूतन इबारत सृजन की नवीन !!

कभी मिलता कभी नहीं मिलता मज़दूर को कोई काम !
बैठता नहीं फ़िर भी नैराश्य में ,करता काम अविराम !!
परिवार की उम्मीदें ,बच्चों के भविष्य का असह्य भार ,
मेहनत और मज़दूरी से बदल देता वक्त की मुश्किल मार !!

क्या महसूस होती है हमें भी मज़दूर की पीड़ा अनकही !
या बढ़ जाते संवेदन हीन हो ,छोड़ व्यथा वही की वही !!
चाहिए दो मीठे बोल और एक सम्मान का भाव उसे भी ,
दब न जाए शोर में ख़ामोशी वक्त के साथ कुछ तो हो सही

-Mahesh Kumar Sharma
1/5/2025






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30 APR AT 22:43

तन्हा रास्तों पर बढ़ता तन्हा तन्हा मैं !
संग है तेरी यादें और पीछे छूटते वादे !!
शान्त सूनी फिजा में गहराता अंधेरा ,
मन में जागती उम्मीद ,मिलन के इरादे !!

बजती दूर धुन कोई ,पुकारता मुझे कोई !
ढूँढ़ती दूर तक निगाहे,दिखाई देते न साए !!
तन्हा रास्ते और ख्याल तुम्हारा मन में बसा,
चल रहे अब मंजिल आए या दूर छिटक जाए !!

हवा के झोंके छूकर दे जाते जीने का जज़्बा नया !
उदास पेड़ों को दे तेरी मौजूदगी का आभास नया !!
अपनी धुन में खोया चाँद भी तुमको ही ढूँढ़ रहा ,
ख्याल तुम्हारे देते उदासी में ख़ुशियों का राज़ नया !!

-Mahesh Kumar Sharma
30/4/2025














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