Mahesh Kumar MADDY   (महेश कुमार 'मैडी')
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Joined 9 April 2018


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5 HOURS AGO

गोविन्द, गोपाल, मोहन, माधव, गोवर्धन, श्याम, कंसारि
यशोदानंदन, देवकीपुत्र, नंदनंदन, वासुदेव, श्रीधर, मुरारि
पुण्डरीकाक्ष, राधावल्लभ, सुदर्शन, रणछोड़, मुकुंद, हरि
गोपीनाथ, सहस्राक्ष, जनार्दन, केशव, कन्हैया, बनवारी
नारायण, पद्मनाभ, दामोदर, नंदलाल, कान्हा, गिरधारी
मधुसूदन, द्वारकाधीश, जगन्नाथ, राधारमण, पालनहारी
दुःख सारा दूर करज्यो, भक्तां नं दीज्यो थे खुशियां सारी
आओ मनावां थारो जन्म-दिन, धूम-धाम सूं करी तैयारी
आओ पधारो म्हारे आंगणै नटखट सांवरा, बांके बिहारी

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22 HOURS AGO

तू जिस तरफ भी जाती है,
ये तेरी ओर चला आता है
ख़ुद पर रखता नहीं क़ाबू,
दिल तेरा दीवाना लगता है

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14 AUG AT 22:24

हमें चाहता, तो और का होता ही नहीं
तुझे पाने को तड़पते रहे ताउम्र, मगर
हमारा होता तो हमें तू खोता ही नहीं !

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13 AUG AT 22:27

, मगर
ख़ुद ही क्यों ये बात समझते नहीं
छोड़ दें वो 'कल' जो बीत चुका है
आएगा 'कल', लाएगा खुशियां नई
अतीत भले बहुत सुखद था, मगर
क्या लौटकर आ सकता है कभी?
तो फिर वर्तमान में जीना सीखे लें
सुखद लगेंगे, जीवन के पल सभी।

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13 AUG AT 19:37

मेरे इतना नज़दीक आकर
मुझसे ज़रा भी दूर मत रहो
अब इन दूरियों से कह दो
हमारे दरमियां उनकी कोई जगह नहीं है।

जब दोनों के दिलों में है
नज़दीकियों की चाहत
तो इसे क़सूर मत कहो
अब हमारे दूर रहने की कोई वजह नहीं है।

फूल भी हो दरमियां तो
फ़ासला ही कहलाएगा
हम इक-दूजे में खो जाएं
ऐसे, जैसे इस रात की कोई सुबह नहीं है।

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12 AUG AT 22:16

इतना नज़दीक आकर, तुम मुझसे ज़रा भी दूर मत रहो
हमारे दरमियां तुम्हारी कोई जगह नहीं
दिलों में नज़दीकियों की चाहत है, इसे क़सूर मत कहो
तुम भी समझो, अब हमारे दूर रहने की कोई वजह नहीं

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12 AUG AT 9:22

इक दिन ज़रूर
न थकें, न रुकें, बढ़ाते रहें आगे क़दम
लिखनी है अगर सफलता की कहानी
चलो, सतत प्रयास को बना लें कलम
कहने वाले कहते रहेंगे, उन्हें क्यों सुनें
जो आत्मविश्वास करना चाहते हैं कम
अटूट साहस, बुलंद हौसला है रगों में
अब अपनी मंज़िल पाकर ही लेंगे दम
कौन है जग में ऐसा जो रोक सके हमें
अब सफलता ख़ुद चूमेगी हमारे क़दम
इक दिन ज़रूर सफल हो जाएँगे हम !!

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11 AUG AT 23:44

मोहब्बत ही अगर हर किसी को कर देती बर्बाद
तो दुनिया वाले इसकी खातिर यूँ दीवाने न होते!
नशीली तो आँखे भी है, जो शराब ही होती ख़राब
तो शहर में आबाद इतने सारे मयखाने न होते !¡

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11 AUG AT 23:08

बहुत ख़ुशनसीब है वो शख़्स, जिसके पास तुम हो
वो जीता है तुम्हें देखकर, जिसकी हर सांस तुम हो
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी को वह सोच भी नहीं सकता
जिसकी धड़कनों की आशा और विश्वास तुम हो !¡

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11 AUG AT 20:49

किसी-का होकर रस्म-ए-वफ़ा न निभाई, यही है बेवफ़ाई

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