बचपन के वो दिन याद है नानी
भोर में जाग चाय बनाती थी
अपने पास बुलाती पढ़ने को बैठाती थी
ना कभी तू डांटती ना ही फटकारती थी
कितनी सरल थी तू ,जीवनमर्म जानती थी
कितने उतार चढ़ाव देखे,
जीवन में दुःखों के पहाड़ देखें,
अपनी ही आँखों के सामने
पुत्री और पुत्र का वियोग ,कैसे सहा होगा ?
बचपन के वो दिन ..........।।
सालों से जब भी मिलता
तेरा हाल पूछता बस मुस्कान देती
और कहती ,क्या हाथ मापता है?
बेटे के पास वो मुझे बुलाता नहीं है
जब भी मैं यह देह त्यागूँ
आना जरूर श्मशान पर
अंतिम यात्रा में आना जरूर
भूल ना जाना ध्यान रख
बचपन के वो दिन ......…..
मिले श्री चरणों मे निवास,
मोक्ष धाम तुम्हें प्राप्त हो
ॐ शान्ति:💐💐💐💐
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