मृत्यु हँसती है, जीवन रोता है
यही सत्य है यही होता है
जीवन क्या देती है जग को आते आते भी क्रंदन देती
जीवन छोड़ के मृत्यु पूजो जो अंतिम सच का दर्शन देती
जीवन लालच की मंडी जिसमे
केवल झूठ और छल बिकता है
तुलसी मरघट के पास में बिकती
बोतल में गंगा जल बिकता है
कलियों से मृत्यु का सुख पूछो
मरकर ही सुंदर माला बनती
बाती से मरने का सुख जानो
न मरती तो कैसे उजाला बनती
जीवन जीने का मतलब है, जीवन जीवन को ढोता है
मृत्यु हंसती है जीवन रोता है यही सत्य है यही होता है
मृत्यु मोक्ष दिलाती सबको, जीवन जो कि बन्धन देती
जीवन छोड़ के मृत्यु पूजो जो अंतिम सच का दर्शन देती-
साथ किसी के चलकर
रस्ता सुन्दर तो हो जाता है
सपनों के सुस्ताने भर को
इक घर तो हो जाता है
एक उदासे तन को सुख का
ज़ेवर तो हो जाता है
नेह किसी का पाकर
जीवन बेहतर तो हो जाता है
तुम होते तो इन बातों को कहना और सरल होता
तुम होते तो इस दुनिया में रहना और सरल होता
@अमन अक्षर-
हमारी इतनी अच्छी भी किस्मत नहीं है
हमारे दामन में गम से हिजरत नहीं है
कुछ लोग जहर जैसे अच्छे भी मिलेंगे
हर मीठा पानी मेरी जान शरबत नहीं है
सिवा तेरे सभी का ख्याल दिल में
मेरी धड़कन को इतनी फुर्सत नहीं है
तुम हमसे दूर भी हो, खुश भी हो
तो सबलोग सोचते है मुहब्बत नहीं है
मैं "दिसम्बर" का दिया ही जी रहा हूं
मुझे "जनवरी" से कोई मतलब नहीं है
----महेश जै०
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सारे लोग तुम्हारे होंगे
जीवन जब तक बसन्त तुम्हारा
जब तक झोली में खुशी रहेगी
सब चूमेंगे विषदंत तुम्हारा
दिखावे और छलावे वाला
मरहम घाव पर लेपेंगे
भीतर भीतर चाहते होंगे
हो जाए जल्द अंत तुम्हारा
समय का दर्पण देख रहा है
पूछ सको तो पूछो उससे
जो कालिख मलकर मुह धोते ह
हम उनको ही गुणगान रहे है
क्या सच है क्या जान रहे है
क्या सच है क्या जान रहे है-
दो आंखों में जीवन धरना
फिर उन सबसे दूर हो जाना
प्यास में आंसू तक न पीना
हां इतना मजबूर हो जाना
खाली खाली इतना खाली
बस खाली भरपूर हो जाना
किससे पूछे किसे बताए
दिल मे तब तब क्या होता है
खुद पे बीती तब पहचाना
यानी ये सब क्या होता है-
सावन में पतझर सा झरना
फिर झरते झरते झर जाना
जब तक तेल है तब तक जलना
और फिर बाती का मर जाना
भाप सा पहले ऊपर उठना
फिर पानी सा उतर जाना
दो पल के सुख में जीवन भर
जलने के अनुभव क्या होता है।
खुद पे बीती तब पहचाना
यानी ये सब क्या होता है-
रूप की उस गली जबसे रूक गए कदम
जिंदगी भी उसी एक गली रूक गयी
दूर रहने का जबसे तुमने मन कर लिया
सुख की मेरी तभी सब घड़ी रूक गयी-
द्वार पर प्रेम के हाथ जोड़े खड़ा
कर रहा हूं प्रतीक्षा तुम्हारे लिए
तुमने कह तो दिया पास आये नही
तुमको देखे नही तुमसे बतियाए नही
दर्द तुमने दिए हमने हंस के सहा
फिर भी दिल दूर जाने को चाहे नही
सारी खुशी, सारी हँसी मेरी ले लो प्रिये
मेरी हवन सारी इच्छा तुम्हारे लिए
द्वार पर प्रेम के हाथ जोड़े खड़ा
कर रहा हूं प्रतीक्षा तुम्हारे लिए
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तुमको सब भाता था लेकिन
सबको तुम कब भाए बोलो
वो खत जो आंसू में लिखा
जिसके पन्ने गीले अब तक
जिसकी हर पीड़ा को गाकर
कंठ पड़े है नीले अब तक
इस आंसू का साथी बिछड़ा
जो मिल जाए कोई उपाय बोलो-
तुमको सब भाता था लेकिन
सबको तुम कब भाए बोलो
मैं बंशी तुम अधर ही रहते
फिर मीठे सारे स्वर ही रहते
प्रेम में विष को पी पाते तो
मरते फिर भी अमर ही रहते
सब सहने को राजी है मन
भाग्य फिर से हमे मिलाए बोलो-