Mahesh D   (Mahesh D)
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Joined 9 January 2020


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30 JAN AT 21:58

ज़िन्दगी के उस मोड पे मिले जहाॅ॑ अंज़ाम क्या होगा?
तेरा और मेरा घर एक होगा, या फ़िर बदनाम ही होगा

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30 JAN AT 21:50

नई ज़िन्दगी की शुरुआत के रूझान नज़र आने लगे हैं।
आज की युग के बच्चे किशोरावस्था में इतराने लगे हैं।।

झूठ और धोखा देकर माॅ॑-बाप को, कर रहे हैं अपनी मनमानी
ख़ुद को गलत का पता नहीं, दूसरों पे उंगली उठाने लगे हैं।।

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24 JAN AT 23:16



भरोसे की नाव डुबोना नहीं,...कभी प्रेम में देना यूॅ॑ धोखा नहीं।1।

प्रियतम, प्रतिक्षण प्रतिपल समा तूॅऺ ही हैं
मेरे चंचल चित्त चितवन हवा तूॅऺ ही हैं

क्रोध में आकर रूलाना नहीं...कभी प्रेम में देना यूॅ॑ धोखा नहीं।2।

प्रियतम, तूॅऺ जैसे रखेगा हर हाल मैं रह लूॅऺगी
कम खुशियों के साथ सारे दुःख को सह लूॅऺगी

प्रियतम बीच में राह छोड़ना नहीं ...कभी प्रेम में देना यूॅ॑ धोखा नहीं।3।

प्रियतम, तेरी बातों का सहारा ही बसेरा हैं
प्रफुल्लित हृदय हर सांझ और सवेरा हैं

कभी आत्मा को छोड़कर जाना नहीं...कभी प्रेम में देना यूॅ॑ धोखा नहीं ।4।
Mahesh D










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24 JAN AT 16:58


आज कह लेने दो, कब तक बात छुपाऊॅ॑गी
दिल की बात,आज मैं जुबां पे ले के आऊॅ॑गी

तकलीफ़ तो होने दो,सांसों में जो गुबार भरा
नहीं तो ऐसे ही मैं, घुट घुट कर मर जाऊॅ॑गी

बेशक लोग मुझे ही हर समय यूं ही दोष देते
पता चले असलियत का,तो मैं बच जाऊॅ॑गी

मेरा रब, इक ताकत बनकर मेरे साथ रहता
वरना तो मैं सुन सुन कर पागल हो जाऊॅ॑गी

ज़ालिम ज़माना कितना है,अंदाज़ा नहीं मुझे
इसी ने सिखाया हे जीना, तो मैं जी जाऊॅ॑गी
Mahesh D


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20 JAN AT 23:05

वक्त गुजर जाएगा त्रेता और द्वापर के बाद कलयुग आएगा
सोचा नहीं किसी ने, अयोध्या में फिर से राम दरबार सज जाएगा

22 जनवरी को रामलला के दर्शन हेतु पूरा विश्व हुआ प्रतीक्षारत
बढ़ रही धर्म के प्रति आस्था, भारत का जन-जन राम में रम जाएगा।।

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6 DEC 2023 AT 23:22

वक़्त वक़्त की बात दुःख से सुख में कब बदल गई
बे औलाद माॅ॑ की अब खुशियाॅ॑ झोली से सहल गई
जो चला समय के साथ,उसकी धार यूॅ॑ तलवार हुई
जहाॅ॑ था रेवड़ियों का कचरा वो देख हुआ महल गई।।

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30 NOV 2023 AT 11:07

दर्द भी तुम हो और दवा भी तुम कौन पहचाने
सर्द भी तुम हो और हवा भी तुम कौन पहघाने
मैं तो सिर्फ़ एक दीवाना गमगीन कोने में बैठा
फ़र्द भी तुम हो और सिवा भी तुम कौन पहचाने

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27 NOV 2023 AT 17:04

ज़िन्दगी लिख दो उन हाथों से,जिनमें छाले पड़ गए
कर्म थक गया है काम करके अब देह काले पड़ गए
रुकना नहीं है ज़िन्दगी में मुसलसल चलना है मुझे
उड़ाते थे जो मजाक मेरा उनके मुॅ॑ह पे ताले पड़ गए

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27 NOV 2023 AT 16:52

तुझ बिन सावन, मानो तमस का दीदार हैं
घुट जाए ज़िन्दगी लेकिन तुझ पे ऐतबार है
बहुत किया इंतज़ार,मुझसे मिलो एकबार
चाहा तुझे चाहूॅ॑गा जन्मभर दिल बेकरार हैं।।

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24 NOV 2023 AT 11:18

क़िस्मत की लकीरों से,ऐसे कामयाबी नहीं मिलती
ज़िन्दगी के बंद तालों की,ऐसे चाबी नहीं मिलती
कुंदन बनने के लिए भी तपना पड़ता है सोने को
मंज़िल के पास पहुॅ॑च ऐसे नाकामयाबी नहीं मिलती

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