Mahesh D   (Mahesh D)
949 Followers · 189 Following

read more
Joined 9 January 2020


read more
Joined 9 January 2020
25 APR AT 11:24

तू आदत है मेरी,ज़िन्दगी के संग रहेगी
वो हालत कैसे हो,मोहब्बत रंग रहेगी
जुनून सवार है मुझे, दिल के रिश्ते का
तकलीफ ना आए तुझे,मेरी जंग रहेगी

भर भर लुटाऊं खुशियाॅ॑ तेरी झोली में
आदत ही नहीं, वादा है, मेरी बोली मैं
सुब्ह औ शाम, यादों में तेरा बसेरा है
मुसलसल दिल के अरमान वै खोली में

पैगाम यह देना चाहता हूॅ॑ मैं प्यार को
मुहब्बत की तस्वीर से मेरे दिलदार को
न कभी दर्द हो उसके दिल के कौने में
बदस्तूर जारी है, इश्क़ के इज़हार को

-


8 MAR AT 11:42

आदिशक्ति का रूप धारण करके आज की नारी ने जो ठाना है।
कालरात्रि दुर्गा रूप, जगदंबे बनकर स्वयं तेज दिखाना है।
अब वो अबला नादान नहीं , हर पल स्वाभिमान से जीती है।
दुराचारी अनाचारी बलात्कारी राक्षसों को मार गिराना हैं।


(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं)

-


26 FEB AT 8:06

जीवन में यदि आत्मिक संबंध में गांठे पड़ जाए, तो उन्हें प्रेम से धीरे-धीरे कोशिश करके खोली जा सकती है
जल्दबाजी में अनावश्यक रूप से कैंची चलाने से क्या फायदा?

-


25 FEB AT 13:08

आपकी मुस्कुराहट किस काम की, जो दूसरों को खुश न कर सके।
आपकी वो आहट किस काम की, जो दूसरों को जागृत न कर सके।।
इंसानियत के दम पर ही, इंसान इक शख्सियत का मक़ाम हासिल करता हैं
आपकी वो चाहत किस काम की, जो दूसरों को प्रोत्साहित न कर सके।।

-


22 FEB AT 14:46

👍विनयशील और मधुर वाणी मनुष्य के वह अलंकार हैं जो जीवन में, व्यक्तित्व को आकर्षक बनाते हैं 👍

-


20 FEB AT 12:42

कार्य की मुसीबतें ,प्रभाव से हटाइए
कार्यशील हो सदा ,अनंत से मनाइये
जीवनी लिखी तूने, इसे प्रखर कीजिए
काम की भक्ति कर,गुमान त्याग दीजिए

-


20 FEB AT 7:51

ग़म के सागर में गोता लगाते,फिर भी ज़िंदगी के क़दम नहीं डगमगाते।
एहसास करते उन सुख का, याद करते-ज्ञकरते हम ऐसे मुस्कुराते।।
है परवरदिगार, ज़िंदगी में कभी भी सुख का आईना मत दिखाना,
जो ग़म दुःख की नाव चलाता है, वह सुख आते आते कभी नहीं हर्षाते।।

-


7 FEB AT 22:04

गुलाब से सीखा है हमने, काॅ॑टों के संग रहना
ज़िन्दगी में गर आगे बढ़ना,तो दुःख भी सहना
किसे अच्छा न लगता, खिला वो लाल गुलाब
चुभन दर्द भरी,ज़िन्दगी ए दास्तां ए हल कहना

-


1 JAN AT 1:32


नववर्ष 2025 पदार्पण के शुभ प्रभात पर
अंशुमाली की किरणें एक नव ऊर्जा का
संचार आपके हृदय में करें जिससे आपका
मन मस्तिष्क अच्छे विचारों की प्रेरणा में
अभीभूत हो जाए और मन की शक्ति नव
ऊर्जा को हासिल करके आप अनवरत रूप
से अपना उत्कृष्ट और श्रेष्ठ देने का प्रयास करें,
सच रूप से यही नव वर्ष का आगमन है।

-


29 DEC 2024 AT 18:11

यह गुलनाज सा महकता चेहरा, लाल सुर्ख़ हो गया
गुलाब की पंखुड़ियाॅ॑ ने, कहा, कुछ तो फ़र्क हो गया।।

-


Fetching Mahesh D Quotes