Mahesh chander Jha   (माही झा✍🏻)
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Joined 22 September 2019


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Joined 22 September 2019
24 APR AT 9:55

लड़ना फिर है एक बार तुम्हें मगर इस
बार हारने के लिए नहीं जीतने के लिये।

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11 APR AT 9:37

पूरा हो रहा ये सफ़र शायद
कोई हम सफ़र मिल रहा है।

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9 APR AT 7:50

जाने क्यों आज के जमाने में मोहब्बत की
शुरुआत गिले-सिकवें से होती है।

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6 APR AT 8:42

आज उन्हि यादों के सड़क से
हो कर गुज़रा जहाँ तुमने और हमने
मिलकर यादों के फूल खिलाए थे।

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5 APR AT 7:36

रोज़ रोज़ की बात है, तुमसे झगड़ना
तुमसे लड़ना, और फिर तुम्हें मनाना😌
रोज़ रोज़ की बात है।

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4 APR AT 7:26

जिनका हर घड़ी हमारा हुआ करता था
आज वो हमसे बाते भी घड़ी देख कर करते है।

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27 MAR AT 7:33

आदते है लिखने की तुम्हें ..
जब कलम कॉपी को स्पर्श करता हे
तुम्हारे चर्चा में तो प्रारंभ से अंत का पता नहीं चलता।

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25 MAR AT 7:15

तस्वीरे पुरानी हो सकती है
पर यादें कभी पुरानी नहीं होती।

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23 MAR AT 23:30

शौक़ नहीं तुम्हें रंग लगाने का बस
इतनी तमन्ना है तुम्हें अपने रंग में रंग दे।

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23 MAR AT 23:30

शौक़ नहीं तुम्हें रंग लगाने का बस
इतनी तमन्ना है तुम्हें अपने रंग में रंग दे।

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