आज भी उसकी यादें शाम होते ही घेर लेती हैं काश स्मृतियों को भी जलाया जा सकता उन ख़तों और उपहारों की तरह और कर दिया जाता विसर्जित उनकी राख को गंगा में… शायद तब मिल जाता सुकून हमेशा के लिए— % &
तुम्हारी जिन्दगी में भी उतराव-चढ़ाव होते रहते हैं, इस मौसम दिन की तरह/ मैं चाहता हूं इक चीज में कभी उतराव न हो तुम्हारे जिंदगी में, और वो हैं तुम्हारे चेहरे से मुस्कुराहट//