धर्म की ले बंदूक हाथ में
धर्म पूछते हत्यारे
आतंकी का धर्म नहीं
फिर कहने लगे धर्मी सारे
धर्म को इतना ऊंचा कर दो
मानव छोटा पड़ जाए
पढ़ ना पाए अगर वो कलमा
जान गंवानी पड़ जाए
मज़हब वाले पानीपत में
कुरुक्षेत्र तो बौना है
जात पात की धम्मा चौकड़ी
आखिर सबको रोना है
काशमीर की घाटी में
पुलवामा हो या पहलगाम
आतंकवाद की भेंट चढ़ रहे
अल्लाह हो या चाहे राम
राजनीति की धर्म सभा में
राष्ट्रवाद का नारा दो
काशमीर की हर एक घर पर
अपना तिरंगा लहरा दो.....-
स्वाभिमान जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी सिद्धांत है
अपने आप क... read more
मोहब्बत का मुझ को किनारा मिला है
एक आवारा को देखो सहारा मिला है
बड़ी कसमकस में है यह सारा जमाना
मगर प्यार मुझ को तुम्हारा मिला है-
औरत हो ,
औरों की बनाई दुनिया में
बनाओ अपनी दुनिया
और अवतार हो जाओ ।।
महिला हो ,
महात्माओं की दुनिया में
जगाओ अपनी आत्मा
और परमात्मा हो जाओ ।।
अबला हो ,
बलवानों की दुनिया में
लगाओ अपना बल
और सबला हो जाओ ।।
स्त्री हो ,
ईश्वर की बनाई दुनिया में
दिखाओ अपनी दृष्टि
और सृष्टि हो जाओ ।।-
अलग अलग होकर हम अलग है
इसलिए सबसे हम अलग है
एक-दूसरे का होना अलग है
एक-दूसरे से होना अलग है
अलग-अलग है दोनों की राहें
मंजिल हमारी नहीं अलग है
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हर शख़्स उलझा है इसकी सुलझनों में
पर दुनिया जो किसी से उलझती नहीं है-
कितने ही दिल जोड़ती है
मदमस्त फ़रवरी
दिन कम है इसके फ़िर भी
ज़बरदस्त फ़रवरी-
प्रेम का दंश बड़ा जहरीला
कोई शहर न बच पाया
तेरा संग मिला फ़िर जानां
इस जहर से मैंने रब पाया-
मेरी आँखें यहीं कहती है
वो मेरी साँसों में रहती है
मैं मुसाफ़िर हूँ वो मंज़िल
मैं समन्दर तो वो कश्ती है ।-
याद तुझे हम हरपल करते
प्यार नहीं कर पाते हम
तुझे बसाया दिल में मगर
दीदार नहीं कर पाते हम
सारी दुनिया बैरन लगती
जब से दूर हुए तुम से
तुम पर अब अधिकार नहीं
स्वीकार नहीं कर पाते हम ।।
आँखों में अब नमी जमी है
ना जाने कब पिघलेगी
जीवन की हर रात अमावस
ना जाने कब बदलेगी
कोई मुझको कुछ भी समझें
कोई फ़र्क नहीं पड़ता
मेरे दिल की गहराई को
तू जाने कब समझेगी ।।-
अपने किरदार से जीते हैं
हम अपनी कहानी ,
किसी के हिस्सों में होते हैं
तो किसी के किस्सों में ।-