आंधियों के शोर में
सिंह-सी दहाड़ हो
दुश्मनों के रास्ते का
तुम सबसे बड़ा पहाड़ हो
बढ़ो नया कमाल हो
जलो नई मशाल हो
जंग हो या प्रीत हो
तुम तो केवल जीत हो
देखता है विश्व सारा
तुम नई सदी का गीत हो
बढ़ो नया कमाल हो
गढ़ो नई मिसाल हो
तुम देश का गुरुर हो
दुनिया में मशहूर हो
दुश्मनों के आसमां पर
तुम जीत का सिंदूर हो
बढ़ो नया कमाल हो
तुम दुश्मनों का काल हो
(पूरी रचना कैप्शन में पढ़ें 👇)-
स्वाभिमान जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी सिद्धांत है
अपने आप क... read more
हुस्न की मधुमालती तुम
कल्पना के तीर लेकर
आ गई हो इस जगत में
प्रीत देती प्राण लेकर..
प्राणों का श्रृंगार कर लो जग भी हो जाएँ तुम्हारा
हुस्न की जादूगरी ने , चैन छीना है हमारा
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धर्म की ले बंदूक हाथ में
धर्म पूछते हत्यारे
आतंकी का धर्म नहीं
फिर कहने लगे धर्मी सारे
धर्म को इतना ऊंचा कर दो
मानव छोटा पड़ जाए
पढ़ ना पाए अगर वो कलमा
जान गंवानी पड़ जाए
मज़हब वाले पानीपत में
कुरुक्षेत्र तो बौना है
जात पात की धम्मा चौकड़ी
आखिर सबको रोना है
काशमीर की घाटी में
पुलवामा हो या पहलगाम
आतंकवाद की भेंट चढ़ रहे
अल्लाह हो या चाहे राम
राजनीति की धर्म सभा में
राष्ट्रवाद का नारा दो
काशमीर की हर एक घर पर
अपना तिरंगा लहरा दो.....-
मोहब्बत का मुझ को किनारा मिला है
एक आवारा को देखो सहारा मिला है
बड़ी कसमकस में है यह सारा जमाना
मगर प्यार मुझ को तुम्हारा मिला है-
औरत हो ,
औरों की बनाई दुनिया में
बनाओ अपनी दुनिया
और अवतार हो जाओ ।।
महिला हो ,
महात्माओं की दुनिया में
जगाओ अपनी आत्मा
और परमात्मा हो जाओ ।।
अबला हो ,
बलवानों की दुनिया में
लगाओ अपना बल
और सबला हो जाओ ।।
स्त्री हो ,
ईश्वर की बनाई दुनिया में
दिखाओ अपनी दृष्टि
और सृष्टि हो जाओ ।।-
अलग अलग होकर हम अलग है
इसलिए सबसे हम अलग है
एक-दूसरे का होना अलग है
एक-दूसरे से होना अलग है
अलग-अलग है दोनों की राहें
मंजिल हमारी नहीं अलग है
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हर शख़्स उलझा है इसकी सुलझनों में
पर दुनिया जो किसी से उलझती नहीं है-
कितने ही दिल जोड़ती है
मदमस्त फ़रवरी
दिन कम है इसके फ़िर भी
ज़बरदस्त फ़रवरी-
प्रेम का दंश बड़ा जहरीला
कोई शहर न बच पाया
तेरा संग मिला फ़िर जानां
इस जहर से मैंने रब पाया-
मेरी आँखें यहीं कहती है
वो मेरी साँसों में रहती है
मैं मुसाफ़िर हूँ वो मंज़िल
मैं समन्दर तो वो कश्ती है ।-