रात का तिसरा पहर बीत चुका हैं ओर हम घुप्प अंदेरा चीर कर भोला के घर पहुंच चुके है ।
भोला भाई ने घर पहुंच कर चाय कि तपेली पर चाय बना ली है , चाय खत्म होने से पहले ही राधा ने गैस बंद करने का नसीहत दे दी है , जिसको बिस्तर पर पड़े पड़े दो कप चाय पीने के बाद भी ऐसा लग रहा है जैसे वह सपने में है। वैसे तो हम खेत से गांव धमाचौकड़ी करने आए थे , लेकिन गांव मे सन्नाटा ऐसा छाया है जैसे लगता है कि पूरा गांव कुंभकरण की नींद उधार लेकर सैंदक नींद सोया हुआ है , तभी हमारी उलूल जुलल सी बातें सुनकर राधा को एहसास हो चुका है कि यह सपना नहीं है यह दोनों भाई शेरू के भरोसे खेत छोड़कर यहां चूल्हे में अपने हाथ सेंक रहे है तभी हमारे भोला भाई को भोलेनाथ की याद आई और उसने यह फरमान जारी कर दिया क्यों ना आज गांव के शिव मंदिर को धोया जाए ।
और फिर हम दोनों पानी की केन लेकर मंदिर की ओर चल दिए ।
चूहा निकला बिल से हैप्पी न्यू ईयर दिल से
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