Mahendra Keshwani   (mahi_s_diary)
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Joined 29 December 2017


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12 DEC 2021 AT 9:58

दिल के जज़्बात जो पिरो के भेजे शब्दों में,
वो पढ़ कर वाह वाह कर चल दिये।

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2 DEC 2021 AT 6:30

Sometimes you have to break your limits to know your actual limits.

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21 SEP 2021 AT 22:21

कुछ ने पा ली है मंज़िल, कुछ को बाकी है पाना,
तुम भी हो जाओगे कामयाब, बस प्रयास करते जाना।

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8 MAR 2021 AT 10:39

हर एक की सोच अलग, अलग हर एक के हैं मायने ,
पुरुष ही सर्वशक्तिमान है ऐसी सोच को स्त्री दिखला रही है आइनें।

पुरुषों को एक ही संदेश, ना दबाओ ना दबो किसी से,
तुम नाराज़ भी हो तो खत्म करो नाराज़गी हसी से।

स्त्रियों के सम्मान की रक्षा आज खुद उन्हें ही करनी है,
किसी से आगे निकलने के लिए नही बल्कि अपने काम से सफलता की सीढियाँ चढ़नी है।

आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर समाज से बनेगा,
और आत्मनिर्भर समाज आत्मनिर्भर जन से,
तभी हर पुरुष और हर स्त्री को बनना है आत्मनिर्भर मन से।


खुशी और गम हर इंसान की ज़िंदगी में है, फिर क्या पुरुष क्या स्त्री,
आज इस महिला दिवस पर, सब बराबर ही हैं वाली सोच के साथ बन जाओ उनके मित्र ही,

बन जाओ उनके मित्र ही ।।

Happy Women's Day

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24 FEB 2021 AT 19:55

जब जी चाहा छोड़ दिया,
अपनेपन का वो रिश्ता तोड़ दिया,
लगते थे खास कभी तुमको,
फिर अचानक क्यूँ तुमने अपना रास्ता मोड़ लिया ?

सजे थे मेरे भी दिल में ख्वाब, कि होगा इक जहान अपना भी,
कैसे भूल गए अचानक, क्या नही आया तुमको मेरा इक सपना भी ?

यूँ तो ज़िंदगी में कई आये-गये , पर दिल तुमपे ठेहरा मानों मिल गई हो मंज़िल,
फिर बात करते करते अचानक क्यूँ दिया, तुमने अपने होटों को सिल ?

सुने कई गीत मुझसे और बस उनपे वाह वाह कर छोड़ दिया,
क्या उन गीत और आवाज़ के पीछे छुपी फीलिंग्स पर कभी गौर किया ?

तुम्हारी याद आती है बहुत, शायद तुमको भी आती हो,
क्या दिल में कोई और बसा है अब , जिससे ख्वाबों में मिलने जाती हो ?

लिख रहा हूँ दास्ताँ अपनी, ना समझना तुम इसको सिर्फ एक कविता,
अब भी ये राम तुझमें , देखता है अपनी सीता

देखता है अपनी सीता.... ।।

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1 FEB 2021 AT 19:37

एक दिन हो ही जाएगी मोहब्बत सभी को मुझसे,
इंतकाम की जगह इंतज़ार करके देख लेते हैं ।।

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20 JAN 2021 AT 8:27

तुमने आज तक जो कुछ भी है मेहनत से पाया,

वो कभी भी नही जाएगा यूँही ज़ाया ।।

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9 JAN 2021 AT 15:39

ना ही कुछ भूला हूँ, ना ही तुमको भुला रहा हूँ

बस उल्झी हुई है ये ज़िंदगी थोड़ी सी, उसे ही सुलझा रहा हूँ ।

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28 OCT 2020 AT 10:35

सुबह हुई है आज की, बढ़ा लो अपना जोश,

काम करके लगन से , उड़ा दो सबके होश।।

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21 OCT 2020 AT 11:22

कुदरत की सुनाता हूँ इक कहानी,
यहाँ नहीं चलेगी तेरी मनमानी,
अपने कर्म और विचारों को एक दिशा में लगा,
कामयाबी की राह पर ले ही आयेगी, वो ताक़त-ए-आसमानी।।

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