MAHENDER PAL   (महेन्द्र पाल)
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Emerging Writer And Student, Growing Through Words, Wisdom And Experience ...
Joined 2 December 2019


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Joined 2 December 2019
14 HOURS AGO

दुनिया रुकावट देगी तू रफ़्तार बढ़ा,
छाँव में मत बैठ सूरज से आँख मिला ...

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14 HOURS AGO

क़िस्मत की राह मत देख तू मेहनत की बात कर,
जो खुद को बदल दे वही असली शुरुआत कर ...

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1 SEP AT 16:11

हसरतें बहुत थी मगर लकीरें रूठी रही,
हर दुआ बेअसर थी हर कोशिश टूटी रही ...

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31 AUG AT 11:31

कभी कभी खुशी भी ग़म सी लगती है,
जब वो पास होकर भी कम सी लगती है ...

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30 AUG AT 16:51

मैं नदी हूँ मुझे सिर्फ़ बहना ही नहीं आता
सागर तक पहुँचने की ख़्वाहिश भी है
लेकिन रास्ते में
कभी चुपचाप तो कभी गरजते हुए
अपना रुख़ बदलती हूँ

कभी मिट्टी की गोदी में खेलती हूँ
कभी चट्टानों से टकरा कर बिखर जाती हूँ
रुकने का नाम नहीं
फिर भी हर मोड़ पर
नई दिशा ढूँढ़ने की ज़िद करती हूँ

जब मैं ख़ामोश होती हूँ
तो बस अपनी गहराई में डूबे सवालों को
समझने की कोशिश करती हूँ
पर जब मुझे ज़रूरत होती है
तो लहरों में भी तूफ़ान का जोश समेट लेती हूँ

कभी मेरी बहनें भी मेरे साथ बहती हैं
हम सभी एकसाथ चलकर
सागर तक पहुँचती हैं
पर हर नदी का अपना रास्ता होता है
जो उसे अपनी मंज़िल तक खुद ही ले जाता है

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30 AUG AT 10:34

तेरे नाम से ही अब साँस जुड़ गई है,
इश्क़ शायद नहीं तू ज़िंदगी बन गई है ...

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30 AUG AT 9:37

कदमों की थकान से हौसले नहीं थमते,
जो जलते हैं जुनून में वो आसमां भी नाप लेते ...

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29 AUG AT 8:15

ज़ेहन में ख़ामोशियों का एक शहर बसाया है,
लोग कहते हैं मैं बदला हूँ मैंने बस ख़ुद को छुपाया है ...

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28 AUG AT 17:58

मैं आज भी
तेरे जाने के बाद की सुबह में जागता हूँ
और तू
शायद अब भी
मेरे साथ बिताई आख़िरी शाम में ठहरी है

हम दोनों आगे बढ़े
मगर विपरीत दिशाओं में
एक ही क़दम पर
तू आगे गई
और मैं पीछे रह गया

कभी-कभी सोचता हूँ
क्या तुझे भी
वो ख़ामोशी याद है
जो हमने एक-दूसरे की आँखों में छोड़ी थी
कहने को बहुत कुछ था
पर जाने का वक़्त भी था

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28 AUG AT 10:43

हालात की चोट से सीधा इंसान भी टेढ़ा हो जाता है ...

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