ईश्वर की भक्ति और अच्छा आचरण; ये दो बातें मनुष्य में हैं, तो ठीक मनुष्य है, नहीं तो वह पशुवत् है।
-
यदि आपके गुरु जन आपपर प्रसन्न नहीं रहेंगे, तो आप भी प्रसन्न नहीं रह पाएँगे और प्रसन्नता के अभाव में आप कोई भी काम करने के लिए उत्साहित नहीं हो पाएँगे ।
-
क्षणभंगुर शरीर, स्वल्प जीवन-काल और दुःख-परिणामी क्षणिक विषय-सुख में लवलीन रहते हुए जो माते रहते हैं और इसी में अपना कुशल समझते हैं, वे अत्यन्त भूल में हैं।
-
पाप कर्मों से बचनेवाले मनुष्य संसार में पूज्य हो जाते हैं। लोग देवता के समान उनकी वन्दना करते हैं।
-
जवानी दोषों का घर है; जवानी में बहुत कम लोग दोषों से बच पाते हैं। जो बचते हैं वही सच्चा मानव है।
-
अपने जीवन की कमाई से गरीबों को कुछ-न-कुछ दान अवश्य दें। इससे पापों का नाश होगा और फिर आपसे कोई दुष्टता नहीं करेगा।
-
अपने जीवन की कमाई से गरीबों को कुछ-न-कुछ दान अवश्य दें। इससे पापों का नाश होगा और फिर आपसे कोई दुष्टता नहीं करेगा।
-
अपने जीवन की कमाई से गरीबों को कुछ-न-कुछ दान अवश्य दें। इससे पापों का नाश होगा और फिर आपसे कोई दुष्टता नहीं करेगा।
-
जहाँ आप अपने को बलहीन पाइए, वहाँ भगवान् को याद कीजिए और अपनी शक्ति लगाइए, अवश्य मदद मिलेगी।
-