तुम हक़ीक़त नहीं हो हसरत हो
जो मिले ख़्वाब में वो दौलत हो
मैं तुम्हारे ही दम से ज़िंदा हूँ
मर ही जाऊँ जो तुम से फुर्सत हो
तुम हो ख़ुशबू के ख़्वाब की खुशबू
और उतनी ही बे-मुरव्वत हो
तुम हो पहलू में पर क़रार नहीं
या'नी ऐसा है जैसे फुर्क़त हो
तुम हो अंगड़ाई रंग-ओ-निकहत की
कैसे अंगड़ाई से शिकायत हो
किस तरह छोड़ दूँ तुम्हें जानाँ
तुम मिरी ज़िंदगी की आदत हो
किस लिए देखती हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी खूब-सूरत हो
दास्ताँ ख़त्म होने वाली है
तुम मिरी आख़री मोहब्बत हो
~jaun-
Wish me on 16th of March
Use my hash tag : #mahraj_singh , #ma... read more
रोना हो आसान हमारा,
इतना कर नुकसान हमारा।
पहली चोट में जान गए हम,
इश्क नहीं मैदान हमारा।
बात नहीं करनी मत कर,
चेहरा तो पहचान हमारा।
जीत गया तेरा भोलापन,
हार गया शैतान हमारा।
-
दो नावों पर पाँव पसारे ऐसे कैसे,
वो भी प्यारा हम भी प्यारे, ऐसे कैसे
सूरज बोला बिन मेरे दुनिया अंधी है,
हँस कर बोले चाँद सितारे, ऐसे कैसे
तेरे हिस्से की ख़ुशियों से बैर नहीं,
पर मेरे हक़ में सिर्फ ख़सारे, ऐसे कैसे
गालों पर बोसा दे कर जब चली गई वो,
कहते रह गए होंठ बिचारे, ऐसे कैसे
मुझ जैसों को यहां पर देख के कहते हैं वो,
इतना आगे बिना सहारे,ऐसे कैसे।
-असद-
Aur pyar ek waisa bhi samandar hai
Jisme yadi saathi saath na de to
kinaare ke siwa kuch aur milta bhi nhi hai
Sad but true-
Tum ishq karo
Aur Dard na ho,
Mtlb December ka mahina
aur thand na ho....-
ऐसा नहीं है कि मैं भूल गया हूँ उसे,
हाँ, बस अब थोड़ा ज़िक्र कम करता हूँ।
ज़िम्मेदारियों ने कुछ इस कद्र जकड़ा है मुझे,
कि अब प्यार मोहबब्त जैसा कुछ समझ ही नहीं आता।
थोड़ा सा समय निकालकर कोशिश की थी मैंने एक दिन,
नाकाम रहा अपने भविष्य के आगे किसी दूसरे को चुनने में।
ऐसा सोचा करती होगी शायद वो भी कुछ,
कि जो रोज़ आवाज़ सुने बग़ैर रह नहीं पाता था,
वो अब हफ़्ते गुज़र जाते याद ही नहीं करता।
तो ऐसा है ना कि अब मन तो करता है,
पर दिल नहीं करता बात करने का।
होता क्या है कि जब किसी इंसान को आप दिल से चाहो
उसे अपना सबकुछ समझ लो और आपको उसकी ज़िन्दगी में वो जगह ना मिल पाए जो आपकी होनी चाहिए तो तकलीफ़ होती है और उसी तकलीफ़ से बचने का उपाय है ये कि अपनी ज़िम्मेदारियों को समझो और आगे बढ़ो।
माना थोड़ा तकलीफ़ होगी पर बाद में सुकून बहुत मिलेगा, और हाँ, थोड़ी हँसी भी आयेगी खुद पे।😄😇
आखिर तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। 🙏
लगा नहीं था कोई इधर तक पड़ेगा, पर आप आये हैं तो बताता चलूँ कि कहानियों में कई बार बहुत दर्द छिपा होता है जो पढ़ने वाला पढ़ नहीं सकता पर समझने वाला समझ ज़रूर सकता है यदि कोशिश करता है तो।-
कठिन रास्ते हैं फ़िर भी चलते हैं हम,
गिरते हैं, उठते हैं सँभलते हैं हम।
कई लोग मिले कई मोड़ पर हमें,
अपना कौन है ये भी समझते हैं हम,
आते-जाते कोई भी दो शब्द बोल भी दे
फ़िर भी दिल लगाने से बहुत डरते हैं हम,
लोग पूछते हैं बात नहीं होती तो क्या करते हो
अब हम ही जानते हैं
मेरे शाम के वक़्त से कैसे गुज़रते हैं हम,
कठिन रास्ते हैं फ़िर भी चलते हैं हम,
गिरते हैं, उठते हैं सँभलते हैं हम।
आखिर में कुछ नया खेल ज़रूर खेल जाती है वो,
जैसे ही उसकी यादों से उबरते हैं हम।
तू साथ रहे ज़िन्दगी भर,
इसके लिए क्या-क्या नहीं करते हैं हम,
कठिन रास्ते हैं फ़िर भी चलते हैं हम,
गिरते हैं, उठते हैं सँभलते हैं हम।
गिरते हैं उठते हैं संभलते हैं हम.......-
पूछो जा के कोई कि जब आगे कुछ ना दिखे तो क्या करें,
खुदा से कह दो, मोहबब्त भी हमारे बदले खुदा करे।
दर्द वो भी तो जाने किसी से जुदा होने का,
वो भी हमारे दिल को समझे और फिर सबसे वफा करे।-