ढोंगी।
बिना सोचे बिना समझे
हम खुद को बर्बाद करते हैं,
और वो हमारी कमियों से ही
हमारी रूह का बलात्कार करते हैं।
किया भरोसा फिर उस ढोंगी पर
शक्ल बदली मासुम की जिसने,
मुखोटो से भरी जिंदगी उसकी
फिर झलावा करदिया मेरे साथ उसने।
मंजर ऐसा है अब हमारा
की खुद से भी डर लगने लगा,
शीशे में खुद के भी अब तो
मुझे वहीं शख्स दिखने लगा।
एक बार फिर वहीं सुना रही हूं
जो गलती में हर बार दोहरा रही हूं
एक बार फिर वहीं दोहरा रही हूं
जो खुद को में हर बार समझा रही हूं।
- महक ✒️-
Meri Kalam k saath...✍️
मुसाफिर हु ज़िन्दगी के रास्तों की,
मूझसे मंजिलों की तु बात ना कर।
टूट के बिखर जायेगा ये रिश्ता,
इसमें बंधने की तु बात ना कर।
उड़ना है खुले आसमान में सारे,
मुझसे सिमट जाने की तु बात ना कर।
कुछ झोके ले आई थी ताज़ी हवा के,
अब इनसे थमने की तु बात ना कर।
जिले लम्हों को खुल कर अभी,
रोज़ इन्हें मुझसे जीने की तु बात ना कर।
आज़ाद नदी हु बह जाने दे मुझे,
मुझसे यूँ ही ठहर जाने की तू बात ना कर।
बस चलने दे जिंदगी के सफर में,
मुझसे रुक जाने की तू बात ना कर।
-महक✒️
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साथ है तेरा तो जिंदा हूँ मैं,
ये कलम अभी तू रुकना नहीं,
भर दे सारे काग़जों पे ज़िंदगी,
एक भी एहसास से चूकना नहीं,
लिख दे जो तू सुन रहा है,
इन होठों से अब तक जो किया बयां नहीं,
देख ले डूब कर दिल की गहराइयों में,
आँखों से अब तक जो छुपा नहीं,
साथ है तेरा तो जिंदा हूँ मैं,
ये कलम अभी तू रुकना नहीं |
✒महक-
- महक ✒️
सुन रही हूं गिरती बूंदों की आवाज को
पर यह खिड़की से गाड़ियों की आवाज कुछ
खनन कर रही है,
रात के सन्नाटे में मुझसे
हर आवाज कुछ कह रही है,
सुनते नहीं हम इन्हें दिन की भीड़ भाड़ में
जैसे सुनते नहीं हम खुद को इस बाजार में
चिख़ रही है एक अलग सी ही बोली मेरी रूह से
तू नहीं है ये बिल्कुल नहीं है
सुन बोली ऊंचे सूर से
कोई और ही जिंदगी जी रहे है सब सुबह होते ही
तन्हा रातों में सुन बोले मन कुछ तुझसे भी
क्या खुश है तू जिस तरह से जी रहा है
क्या यही सपना इतने सालों से देखा है
जान खुद को पहचान खुद को
फिर आज पूछ एक सवाल खुद को
हां ,में मिले जो जवाब तुझको
उस रात यह चिख़ रुक जाएगी।
बेवजह जब होठों पर तेरे मुस्कान आएगी
सही मायनों में जिंदगी वो कह लाएगी।
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महक ✒️
हा हर वक़्त करते है हम
खुश रहने की कोशिश
पर क्या हम सच में खुश हैं?
जब भी लगता है मिल गया सब कुछ
एक नई सी चाहत भी मिल जाती है।
दिल में किसी कोने में
छुपि आरज़ू भी नजर आती है।
कभी कुछ तो कभी कुछ है मन के अंदर
चाहिए क्या ज़िंदगी से
वो बात समझ नहीं आती हैं।
अपने दिल की बात लोगो को
समझने लगते हैं
अपनी उम्मीदों को हम औरो पे थोपने लगते हैं।
एहसास सब से एक से
मिलते नहीं जब
उसी बीच हम किसी को खोने लगते हैं।
धीरे धीरे कोई भी अपना नहीं लगता हमें
फिर एक वक़्त हम
खुद को ही झन - झोढ़ने लगते हैं।
कोशिश में खुश रेह ने की हम
ज़िन्दगी से मूह मोड़ने लगते हैं।
फिर एक दिन हम अकेले में
तन्हा रोने लगते हैं।
दर्द समझ आते नहीं बस
अस्क अखो से बेहने लगते हैं।
कोशिश में जीने की हम
सासो को रोकने लगते हैं।
कोशिश में खुश रहने की हम ........
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-महक✒️
प्यार नहीं है ये यकीन मेरा
जाने क्या होगा अंज़ाम तेरा
टूट के बिखर जाएगा सब तेरा
होगा ज़िन्दगी में जब इम्तिहान मेरा।-
-महक ✒️
वो लहरों सा एहसासों का उफ़ान हीं था,
जो मुझे बार बार किनारे ले आया।
जब भी मैने गोता लगाया,
वो मुझे फिर वही तेरे पास ले आया।-
-महक🖋️
मिले जो कोई शब्द तुम्हें ,तो मुझे डूंध कर ला दो
इन अंजाने एहसासों को , बया करने के लिए
मेरे पास कोई शब्द नहीं।
मिले जो कोई साथी तुम्हें , तो मुझसे मिला दो
इन अजनबी रास्तों में, चलने को साथ अब
मेरे पास कोई हमसफ़र नहीं।
मिले जो कोई गीत तुम्हें, तो मुझे सुना दो
इन अंधेरी तन्हा रातों में, गुनगुनाने को अब
मेरे होठं पे कोई धून नहीं।
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