ऐ जान-ए-जन्नत तुझे नाम दिया है
मैंने "पाक इश्क" का फिर कैसे कह दू ...
मेरे इश्क के बिना जिन्नत मिले मुझे.....-
Mahak Ansari🥰😍...
(MaHak AnsaRi🥰)
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Joined 7 January 2021
30 JUL AT 18:29
30 JUL AT 18:27
ऐ जान-ए-जन्नत तुझे नाम दिया है
मैंने "पाक इश्क" का फिर कैसे कह दू ...
मेरे इश्क के बिना जिन्नत मिले मुझे.....-
17 NOV 2024 AT 14:42
जाते हुए कहते गए मेरी कही जरूरत पड़े तो याद करना
क्या वो ये भूल गए..
जो बीच राह में छोड़़ जाए उनको याद नहीं किया जाता.-
9 NOV 2024 AT 17:04
एक गुलाब को देख खिला करते थे हम,
एक आँधी ऐसी आई उस गुलाब को ही ले गई।-
2 NOV 2024 AT 23:49
बड़े प्यार से गए थे इश्क के समंदर में
एक लहर ऐसी आई
अभी तक किनारा ना मिला..-
1 NOV 2024 AT 19:48
सिर्फ गुलाब तोड़ने से मोहब्बत हो जाए
तो माली पूरे शहर का दीवाना होता ..-
16 JAN 2024 AT 21:57
... मौत भी मेरी ना जाने कैसे आएगी
मुझको तो बिना देखे नींद भी नहीं आती...-