सुबह कितना भी चमक उड़ेले, हमारे लिए तो सांझ सही है । और उमड़ती अदा तुम्हारी, तेरा हर अंदाज सही है।। काजल की कोर निगाहों से , अक्सर तुझे निहारे है । गीत गा रही याद तुम्हारी, हर एहसास तुझे पुकारे है ।।
प्रखर प्रभात -::- नींद में भी छुप के मुझसे, जगत जो प्यार है । धड़कनें जो बढ़ रही , वो प्यार की रफ्तार है ।। ख्वाब की लहरें बनू , और याद से क्यों भाग लूं । छूप के उसकी नींद में, मैं सोचता कि जाग लूं ।। हर ख्वाब की ही पंखुड़ी पर , वह प्रीत का एहसास है । देख कर मन बोलता कि, तू बड़ी झक्कास है।।
नई सांझ -::- धड़कनों में बस गया है, हर सांस के एहसास तक । बात तो होती रही , बस बात पहुंची बात तक।। एहसास में ही बात जैसा , बस बात ही जज्बात है । उम्र बढ़ती प्यार की अब, हर सांस में यह बात है ।। जिंदगी की रोशनी में , सच में तुम कमाल हो। कह सका यदि आपसे तो, धड़कने धमाल हो।।
मन जो ढूंढे मन चला तो मन का क्या फिराक है। हुस्न की तर्ज़े बया पर , बढ़ रही अब आग है ।। प्रेम है तो प्रेम कर , और बात कर अरमान की। चांद चेहरे पर बसे हैं, क्या कहूं मुस्कान की।। हर दीप्ति की हर रोशनी में , तू चांदनी की छाप है । फूल खुशबू से पड़े हैं, तू तो लल्लनटॉप है।।
सच में यूं स्पर्श तुम्हारा , मुझको पावन कर जाता है। जैसे गरल लिए भुजंग को, शीतल चंदन कर जाता है।। नम आंखें तस्वीर बनाएं, तुझसे बेहतर तेरी। तेरा दर्शन मेरे मन को, वृंदावन कर जाता है।।
पलट कर देखना तेरा , ठहर कर बात यूं करना। सवर कर सामने आना, ठिठक कर ध्यान से सुनना।। झिझक भी साथ होंठों पर, तुम्हारी आंख का झुकाना। तुम्हारे चंद चेहरे पर, हमारी आंख का रुकना।।
हैं बेबाक हंसी होंठों पर , नजरों में आंख मिचोली है। चंचल चहक शरारत सच में, मधु मिठास सी बोली है।। और निगाहें में अक्सर, तस्वीर तुम्हारी छाये है । सच में बोलो अब याद तुम्हारी, बार-बार क्यों आए हैं।।
रंगो से गुलज़ार महोत्सव, उत्सव है त्यवहारो से। मगर मु.झलक पड़ेगी, रंगो भरे व्यवहारो से ।। सदा समझ खुशियों में कौशल, बस कोशिश में लगी रहे । अल्हड़पन हुडदंग है होली, रिश्तों में रौनक बनी रहे,
मगर निगाहे चित्र बनाएं देख-देख कंजूसी से। चांद सरीखे चेहरा देखो, चुप बैठा खामोशी से।। जो आहट बेचैन किए हैं, उसी याद में गुम हो। अगर नींद में ख्वाब जगे हैं, उन ख्वाबों में तुम हो ।।