इस मर्ज़ ए मोहब्बत का शिफ़ा-खाना कहां है?
या इतना बता दीजिए मयखाना कहां है?
जलना तो मेरा तय है, मगर सोच रहा हूं।
वो शम्मा कहां? और ये परवाना कहां हैं।
तन्हाई का मजमा लगा हुआ तेरे बाद।
वीराना जिसे कह सकें, वीराना कहां हैं।।
जाना तो ख़ैर एक न एक दिन सभी को है।
कुछ लोग भूल जाते हैं की जाना कहां है।।
मैं ख़्वाब हूं जो चाहें अभी देख ले मुझे।
कुछ देर बाद मैंने नज़र आना कहां हैं।।
इतनी ज़रा सी बात नहीं सीख सके आप।
किस बात पे हंसना है, मुस्कुराना कहां हैं।।
मायूस तो दुनिया से नहीं लौटने वाले।
वैसे भी यहां रोज़ - रोज़ आना कहां है।।
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