Madhuri Kerkar  
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शब्दची माझे सगेसोयरे
Joined 7 June 2020


शब्दची माझे सगेसोयरे
Joined 7 June 2020
YESTERDAY AT 16:03

तुझ्या पंढरीत विठ्ठला
संत मेळा गोळा झाला
ज्ञाना, तुका, चोखामेळा
सखू, जनी, नामा आला

ओढ हृदयीच्या भेटीची
उतावीळ वारकरी मन
फुलले वाळवंट भीमेचे
भक्ती सागरात रममाण

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2 JUL AT 23:18

मिलेगा या नही, क्या पता
बहोत कुछ गुम है
ढुँढ रहे हैं कबसे
अभी #खोज_जारी_है

एक बचपन भी हैं
वो हर किसी का
मिलना है फिर उसे
है सपना सभी का

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2 JUL AT 0:21

दिन के ढलते
सब निकल पड़े
अपने घरों की ओर
सबको था पता
अपने अपने घरों का
बस मुझे छोड़ कर।
पैर आगे बढे ही नहीं
वही डटकर खड़े थे
उन्हें भी पता था, के
मेरा कोई घर ही नहीं

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2 JUL AT 0:10

पक्क्या भिंतींचे
स्वत:शी प्रामाणिक
#वेळेचे_घर, नियमांस
काटेकोर अधिक...

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30 JUN AT 12:42

बचपन से जानता था
वो पेड़ इस नदी को
सारे मौसम वो रहता
किनारे पर ही उसके
भारी बारिश के आते ही
समाता गोदी में उसकी
पर उसे डर नहीं लगता कभी
क्योंकी वो जानता था,
नदी उसे माँ जैसे संभालेगी

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30 JUN AT 1:34

बेचैन सी आज भी
सामने खडी़ क्यों है?
#ये_शाम क्या दोबारा फिर,
तुमसे मिलना चाहतीं हैं?

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30 JUN AT 1:21

असे गु़ंतणे बरे नाही
रात्र सरते, नीज नाही
'भ्रमरा सावर रे जरा'
कमळास मुळी खंत नाही...

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30 JUN AT 1:04

जब भी मैने हार महसूस की,
अथक प्रयास के बाद भी
मेरी आस्था नें ही भरोसा दिया

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27 JUN AT 23:03

तुम्हारी याद में
हर लम्हा बहते
आंसुओं को
रखते हैं रोक कर,
जानते हो क्यों?
क्योंकि, इन आँखों में
तुम जो बसते हो

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27 JUN AT 21:09

काश😔
गलत संगत का असर इतना बुरा था
एक तरफ पुलिस, दुसरी तरफ वही दोस्त
इन सबसे से बचते बचाते
वरूण दौडता रहा, दौडता रहा
आंखों से आसूं लगातार बह रहें थे
पर पोछने वाला कोई न था।
समझा समझा कर थकीं हुयीं माँ भी
अब इस दुनियाँ से विदाई ले चुकीं थी
जब माँ समझाती थी, काश तभी मैंने
सुन लिया होता वरूण सोचता रहा।

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