तु बिल्कुल चाँद में दाग सा
कहीं से भी नजर आता है
फिर भी लगता है दूर सा-
तेरे होने का एहसास भी तो कम नही
तो कलम भी इतराती है
लिखूँ जो तूम्हे
तो स्याही भी शर्माती है
लिखूँ जो तूम्हें
लफ्ज़ रुक से जाते हैं
लिखूँ जो तूम्हे
खयाल भी गुम हो जाते हैं
लिखूँ जो तुम्हे
जिंदगी मुस्कुराती है
लिखूँ जो तुम्हें
बगावत हो जाती है-
मेरी कल्पना से परे हैं तेरा मुझमें खो जाना इस तरह से करीब आकर
खो जाता हूँ तुझमें ही मै मदहोश हो जाता है यह दिल तुझको छूकर-
आहेत अजुनही आठवणीत माझ्या तुझ्या आठवांचे थवे
आठवणीतले प्रत्येक क्षण हे मला पुन्हा जगायला हवे
तुझ्या आठवांची जणू बरसली बरसात आठवणीत माझ्या
विरहाच्या वेदना ह्या पुन्हा मग होऊन गेल्या ताज्या
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भीगी भीगी सी बारिशें और भीगा भीगा सा ये भी तो है मौसम मनचला
भीगे भीगे से हम और तुम टूटकर चाहें ना एक-दूजे को क्यूँ भला?-
खामोशी बड़ा सुकून देती हैं गमों को भुलाकर
अकेलेपन में भी मजा है आ जी ले मुस्कुराकर-
दोस्त साथ है इसलिए चल दिये हैं बेख़ौफ़ होकर जिंदगी को ढूंढने
बेमतलब ही चले जा रहे थे तन्हा इस सफर में होकर अंजाने-
जादूभरी यह रातें सहमी सहमी लगती है
इस मौसम की मुलाकातें अधुरी लगती हैं-
खौफनाक अंधेरों की दर्दनाक रातों में गुमशुदा है ख्वाहिशें
मौजूदगी खामोशियों की याद दिलाती हैं अतीत की बारिशें
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मोहब्बत इन गलियों में कत्ल तो रोज सरेआम होते हैं
किसी की आह नही निकलती मगर दिल तो रोज रोते हैं-