वो बचपन की यादें वो छुटपन की बातें,
जो बातें तब लगती थी ज़रूरी,
वो ध्यान से सबको सुनना और कुछ ना समझना,
वो पापा की बातें और मम्मी की डाँटे,
वो बचपन बड़ा अनजाना सा गुजरा,
वो हॉस्टल की रातें और पापा की यादें,
उन यादों ने खूब रुलाया है मुझको,
उन यादों ने बहुत कुछ सिखाया है मुझको,
ये लिखते-लिखते भी रोया हूँ में,
कितना बहुत कुछ खोया हूँ में,
अब पाना चाहूँगा तो भी ना मिलेगा,
ये जीवन जीवन की तरह चलेगा,
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