बहुत हुई मनमानी दिल अब तो तू बस बस ही कर झूठे छलावे के पीछे भाग तू खुद को यूं बर्बाद न कर सब अपनी दिन दुनिया संभाल बैठे हैं चैन से अपने अपने घर तू क्यों सड़क पर घूम रहा है अपनी ही आन धूल में लुटाकर दर्पण निहार, खुद को तौल दिल में सुंदर फूल उगा सोए हुए आत्म सम्मान को फिर से तू एकबार जगा बहुत काम है तेरे हिस्से उसे तू अनदेखा न कर छोटी छोटी खुशियों के खातिर खुद को यूं व्याकुल न कर
फिर कभी यह कहना न मुझे कि मैने तुझे सताया ख्वाबों में रोज तेरे आती रही फिर भी पास न बुलाया न नाम दिया न पहचान दिया केवल दिल को बहलाया जब जब तुझे याद किया तूने मुझे ही रुलाया मगर यह दिल नासमझ है न माने मेरी कोई बात तेरे नाम का दीप जलाकर निगोड़ा जागे सारी सारी रात
This lush green.. the lurking sky above seems so close.. her heart wishes for a touch, wishes for a break in Alas! She could.. The fence is stronger than her heart She stares at the beauty from far
आजादी की एहसास दिलानेवाली एक सुराख। रोशनी की एक जरिया। अंतर्मन की बेड़ियां को तोड़कर हमे कालिमा मुक्त करती है। भीतर तक झकझोरती है। आसमान को छुने के लिए प्रेरित करती है। सपने दिखाती है। खिड़की एक सुकून, जिन्दगी का भरोसा। दिल का मरहम। इसे कैसे बंद करूं?