घर से कितनी दूर निकल पड़ा है, घर के लिए।
हर कोशिश करता है, वो गुज़र-बसर के लिए।
हर शाम वो समय निकालता है घर की खबर के लिए।
घर से कितनी दूर निकल पड़ा है, घर के लिए।
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madhukar upadhyay
(Madhukar)
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the IT student..
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Joined 4 April 2018
29 DEC 2020 AT 22:13
15 DEC 2020 AT 10:28
तमाम लोगों की भीड़ में,
कोई तो अपने पास हो।
ताउम्र उन्हीं का साथ हो,
और हाथों में उनका हाथ हो।-
4 NOV 2020 AT 10:58
भले लोग, कितना कमाया पुछते हैं,
पर माँ आज भी, क्या खाया पूछती है।
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2 NOV 2020 AT 21:47
गर अपनी कमी की सज़ा,
मा बाप को चुकानी पड़े!
तो वक़्त आने का इंतज़ार नहीं,
वक़्त लाने का बंदोबस्त हो तो कुछ बात बने।
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10 OCT 2020 AT 1:18
akela rahna... aur akela hona...
bahut fark hai mere dost.
isq hoga to khud hi jaan jaoge...-
10 OCT 2020 AT 1:14
koi aaj bhi apna manta hai tuzhe...
yu hi isq karna sabke bas ki baat nahi....-
30 AUG 2020 AT 3:22
कुछ शोर शांत है,
कुछ आपके सामने।
कुछ भावविभोर है,
कुछ मुस्कान संभाले।
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7 JUN 2020 AT 7:19
पैसे वाले बड़े लोगों को अपनी ज़बान का अकड़'' होता है जनाब,
हम गरीब तो दिल के बड़े होते हैं,
रिश्तों के लिए हम झुक' जाया करते हैं।
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