“सुप्रभात”
खुशियाँ लेना चाहते हो तो
ख़ुशियाँ देना सीखना होगा
दुख देने हैं किसी को
तो दुख सहन करने की
ताक़त भी रखनी होगी
ख़ुशियाँ मिलने पर इतराओ मत
ईश्वर का शुक्रिया अदा करो
वक़्त भी मौसमों की तरह बदलता है
तुम अपने कर्मों को याद रखो या ना रखो
कोई तो है
जो सारा हिसाब जानता है
जो दोगे वही लौट कर आता है
अच्छे कर्मों का
अच्छा फल हर इंसान ज़रूर पाता है ..
- मधु शर्मा
-
“सुप्रभात”
मूर्ख को ज्ञान देने से कोई फ़ायदा नहीं
और बुद्धिमान को भी ज़रूरत नहीं ज्ञान देने की
फिर क्यों लोग ज्ञान बाँटने में वक़्त ज़ाया करते हैं
जो तुमको अच्छा लगता है
वो तुम करो
और जो दूसरे को अच्छा लगता है
उसे करने दो
कुछ काम माँ बाप कर देंगे
कुछ शिक्षक सिखा देंगे
बाक़ी अनुभव काफी है ज़िंदगी में सीखने के लिए !
कभी कभी सीख देने से
रिश्तों में दरार आ जाती है
जो कभी नहीं भरती..
- मधु शर्मा
-
“शिक्षक दिवस “
बालक में मानव मूल्यों का आधार बनाता है शिक्षक
जो समाज की होती है अपेक्षाएं
उसके अनुसार ढालने का प्रयास करता है शिक्षक
संस्कार मिलते हैं घर से
और अक्षर ज्ञान शिक्षक से मिलता है
घर और पाठशाला से मिलकर ही
इंसान का समाज सम्पूर्ण होता है
जो देता है शिक्षक को सम्मान
उसको ही मिल पाता है सम्पूर्ण ज्ञान
जो शिक्षक बनाता है बालक को अच्छा इंसान
उस शिक्षक की होती है समाज में ख़ास पहचान
पूजनीय होते हैं वो शिक्षक
जो बालकों के दिल में अपनी ख़ास जगह बना लेते हैं
वही देते हैं देश को बेहतर समाज
और वही शिक्षक होते हैं देश का ताज ..
हमारे सभी शिक्षकों को नमन 🙏
- मधु शर्मा
-
“सुप्रभात”
किसी के साथ कुछ करने या कहने से पहले
एक बार रुक कर सोच लो
की हमारे साथ भी ऐसा ही होगा
तब हमको कैसा लगेगा
बस फिर आप वही करोगे
जो आपको अच्छा लगता है
और सच मानो
जो आपको अच्छा लगता है
वो दूसरे को भी अच्छा ही लगेगा
एयर आपके लिए उसकेड़ील में
एक ख़ास स्थान बन जाएगा ..
- मधु शर्मा
-
“ईश्वर की लीला”
सावन गया भादो भी आ गया
मेघ फिर भी ना शांत हुए
ये कैसे मेहमान हैं
जो आए भी अपनी मर्जी से
और अपनी मर्जी से यहीं थम गए
मेघों ने मल्हार भी ऐसा गाया
की पानी से नगर नगर भर गए
नदियाँ उफन रहीं सब तरफ़
घर और खेत खलिहान बर्बाद हुए
पहाड़ियाँ चटक रहीं हैं
गाँव और शहरों में भी मंज़र भयावह है
प्रकृति के तांडव से
जीव जंतु सब भयभीत हुए
सूरज देवता भी छिपे हैं डर कर
चाँद और तारे भी गमगीन हुए
इंसान ने की है खूब छेड़छाड़ प्रकृति के साथ
ईश्वर शायद क्रुद्ध हुए
अब भी संभल जाओ इंसान
सुबह का भूला शाम घर लौट आए
तो ही अच्छा है
वर्ना ईश्वर की लीला से
आख़िर कौन बच पाता है ..
- मधु शर्मा
-
“बेहतर कौन”
क्यों कह देते हैं
कि कुछ लोग गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं
गिरगिट तो अपना रंग ही बदलता है
अपनी फ़ितरत नहीं
पर इंसान को क्या कहें
इंसान रंग नहीं फ़ितरत बदल देता है
अब इंसान या गिरगिट में कौन बेहतर है
ये समझना हमारे लिए मुश्किल नहीं ..
- मधु शर्मा
-
“रिश्ते”
जो इंसान अपने हर रिश्ते को निभाना जानता है
वो ही रिश्तों की कद्र कर सकता है
रिश्ते निभाना मजबूरी का नाम है
और रिश्तों को जीना
रिश्तों के एहसास का सही अंदाज़ होता है
थोड़ा सा त्याग
रिश्तों में मिठास भर देता है
थोड़ा सा अहम रिश्तों को कड़वाहट से भर देता है
रिश्ते प्रेम में भीग कर ही सींचे जाते हैं
तभी वो फलते फूलते और महकते हैं
सच्चाई ईमानदारी और अपनापन
ये वो खाद है जो रिश्तों को मज़बूत भी बनाती है
और खूबसूरत भी …
- मधु शर्मा
-
“ राधाष्टमी “
प्रेम की परिभाषा जिस से शुरू होकर
खत्म भी उसी पर होती है
प्रेम श्रद्धा समर्पण त्याग
और सम्मान की भावना से परिपूर्ण
राधा वही तो होती है..
कान्हा के स्वरूप में ही
राधा का अक्स छुपा होता है
कृष्ण के बिना राधा अधूरी
और राधा के बिना
कृष्ण के नाम की महिमा अधूरी
राधा कृष्ण की ऐसी है पावन सी जोड़ी ..
राधाष्टमी की हार्दिक बधाई
- मधु शर्मा
-
एक कप चाय
सुबह सुबह की चाय से
उतर जाती है नींद के आलस की खुमारी
चाय गले से उतरे तो
मिलती है पूरे दिन के लिए ऊर्जा सारी..
चाय का दूसरा नाम दोस्तों की चाह भी हो सकती है
साथ बैठने का बहाना है चाय
चाय की चुस्की का आनंद अकेले में कहाँ
और दोस्त साथ हों तो चुस्की के स्वाद का किसको पता
पर अच्छा हो मौसम तो दोस्त याद आते हैं
चाय के साथ पकौड़े भी बहुत लुभाते हैं
हँसी ठहाकों के दौर चल जाते हैं
चाय के एक कप में मानों
दोस्ती की मिठास के अनेकों रस घुल जाते हैं ..
अकेलेपन में सुस्ताने का बहाना है चाय
मेहमानों की मेहमानवाज़ी का अंदाज़ है चाय
मेहनतकश की मेहनत का मेहनताना है चाय
छोटे से एक कप चाय से
काम बड़े बड़े हो जाते हैं
चाय पीने पिलाने से रिश्ते निभ जाते हैं
चाय पिलाने वाले हमेशा बड़े दिलवाले कहलाते हैं ..
- मधु शर्मा
-
“वक़्त”
जो कह ना सको वो बात कैसी
जो मिल ना सको तो मुलाक़ात कैसी
जो महसूस ना कर सको
वो अहसास नहीं
जो निभा ना सको
फिर वो रिश्ता नहीं
जो सिर्फ़ अपनी सोचे
वो फ़रिश्ता नहीं
ज़िंदगी के दिन कितने
किसको पता
जो हकीकत जाने
वो एक एक दिन को जी ले
जो कल की सोचे
वो आज को भी खो दे
वक़्त किसी का अपना नहीं
जो हर पल को अपना बना ले
वो ही बस जीवन की परिभाषा जाने ..
- मधु शर्मा
-