मैंने तुम्हें उस वाक्य की तरह चाहा,
जो कभी पूरा नहीं हुआ,
शब्द गिरते रहे, तड़पते रहे,
एक अंत की तलाश में,
जो आया ही नहीं।
तुम तूफ़ान की तरह गए—
तेज़, शोरगुल से भरे, तबाही मचाते,
पर तुम्हारे बाद की ख़ामोशी
उससे भी ज़्यादा बेरहम थी।
अब हर कमरा गूंजता है
तुम्हारी गैरमौजूदगी से,
तुम्हारा नाम अब भी भारी है
मेरी ज़ुबान पर,
न भूलने लायक,
न कह पाने लायक.!-
"साहिल की तसव्वुर में तू"
मैंने रेत पर तेरा नाम लिखा,
हर लहर ने चुपचाप मिटा दिया,
जैसे मेरी हर दुआ को,
खुदा ने बिना पढ़े लौटा दिया।
तू तो समुंदर था — गहरा, रहस्यमय, बेख़बर,
और मैं?
एक साहिल, जो हर रोज़ तुझसे टकराता रहा,
तेरी हर बेक़रारी को खुद में समेटता रहा।
इश्क़ में डूबकर भी
मैं किनारे पर ही रही,
तेरी मौजों से लड़ती,
तेरे सुकून की तलबगार रही।
तू आया भी तो बस पलभर को,
छू कर चला गया जैसे कोई ख्वाब,
और मैं?
आज भी उसी रेत पर खड़ी हूँ,
तेरे लौटने की उम्मीद लिए, बेहिसाब।-
हंसना तो बहुत आता है मगर,
रोने का बहना क्या होगा,
फूलों से अगर दामन भर लोगे तो,
कांटो का ठिकाना क्या होगा...!!-
कहा हैं खुदा, सबको बेकरारी हैं,
सुराग तक ना मिल पाया,पर तलाश जारी हैं,
उसे समझने की हैं कोशिश,जो है समझ से परे,
मैं नासमझ ही सही, अगर यह समझदारी हैं.....!!-
मैं उसकी निगाहें भी देखु,
मैं उसकी निगाहों में भी देखु,
मैं उसकी निगाहें भी देखु,
मैं उसकी निगाहों में भी देखु,
हाय कितनी नशीली है उसकी निगाहें
मैं कब तलक उसकी आंखों में देखु...!!👀-
गम-ए-जिन्दगी गुजारी नहीं जाती
इश्क-ए-आरजू जताई नहीं जाती
जीना है इन्ही स्याह रातों में तो,
गम-ए-आशिकी बताई नही जाती...!!-
फकत इश्क,
फकत नशा,
फकत गुलामी,
कहा जाए..!
ये सब बातें है,
इश्क को
रंग-ए-नूरानी
कहा जाए .....!!-
ना जाने क्यूं दिल बेचैन सा हैं
ना जाने क्यूं दिल मे शोर सा हैं
ना जाने क्यूं आफतो का भंवर सा हैं
ना जाने क्यूं...!!-
मन में व्यथा
शरीर की थकान
इश्क की कथा
मुसाफिरों के कान
मिलन हुआ था
इससे थे सब अनजान..!!
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खुबसूरत लगता हैं
जब मेरी आंखो में
सपने कामयाबी के हों
निंदो में गुम हम
किसी बिरनी दुनिया में हों
तलाश अपनी और
ख्वाहिशों के बीज हों
सुनहरा सा सपना
और अपनो की भूख हों
खुबसूरत लगता हैं
ख्वाहिशों का भवर..!!-