29 MAR 2019 AT 23:12

"मैं नारी हूँ"

(यह कविता, नारी के उस
स्वरूप को समर्पित है जिसे
जानते तो हम सब हैं पर
उसे नज़र अंदाज़ करते हैं।
विकट परिस्थितियों में
नारी जब अपना यह रूप
धारण करती है तब हमें
उसकी क्षमताओं का
भान होता है। नारी क्या कर
सकती है और क्या नहीं
इसका ज्ञान होता है।)

- Lekhni