Madhu Maurya   (Lekhni)
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Joined 30 December 2017


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10 JUN AT 1:21

कट रहे हैं ये दिन औ रात राह तकते-तकते
उसे वक्त नहीं, बुझे चराग सब जलते-जलते
है दिखावे से दूर मेरा प्यार
इसलिए सहते हैं सारे सितम हम हँसते-हँसते।

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10 JUN AT 1:19

कैसे हम बताँए कि उसकी हसरत कितनी है
कैसे समझाँए कि उसकी जरूरत कितनी है
है दिखावे से दूर मेरा प्यार
कैसे दिखाँए कि उस से मोहब्बत कितनी है।

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9 JUN AT 0:30

यूँ रात अक्सर मुझे सताती है
मेरे हर डर से मुझको डराती है
जो बात कभी सोची भी नहीं
सपने में आ झकझोर जाती है,

यूँ रात अक्सर मुझे सताती है
गुजरा हुआ लम्हा दिखाती है
अच्छा-बुरा हर पल याद दिला
कभी हँसाती, कभी रुलाती है,

यूँ रात अक्सर मुझे सताती है
सबके बीच अकेला कर जाती है
यह लब तो रहते हैं खामोश मगर
अनकहे भावों से मन भर जाती है।

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6 APR AT 13:06

सान्त्वना से सहर्ष तक
संसार से सन्यास तक
सृजन से संहार तक
स्वयं से सहस्त्र तक
सुबह से साँझ तक
सकल समय संग होत है।

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4 APR AT 14:06

जीवन
है कसौटी
अनोखी है चुनौती
यहाँ मुसीबत ना एकलौती
सबके हिस्से हैं सहस्त्र कोटी
चाहे कोई माँग ले लाख मनौती
पर होता वही जो ईश्वर के पोथी।

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3 APR AT 21:08

मुझे हाथों में ना  हाथ चाहिए
मुझे तो बस, तेरा ही साथ चाहिए,

ना हो दूरियों का एहसास कभी
बस एक ऐसी हसीं मुलाकात चाहिए।

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2 APR AT 17:54

इन्सान तो हैं पर वाबस्तगी तो नहीं है।

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2 APR AT 17:49

बस्तियाँ हैं यहाँ वीरानगी तो नहीं है।

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2 APR AT 1:34

ये मोहब्बत बिमारी नहीं, ये महामारी है
जो सबको  ही लगती, बड़ी मनोहारी है,

इसमें ना ग़लती तुम्हारी है, ना हमारी है
इसके फँस कर सब भूले, दुनियादारी है।

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31 MAR AT 19:07

मन जब तृप्त हो जाए, ख़ुशियाँ कहलाए।

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