राधा सी किस्मत कहाॅं
मिल जाए तेरे चरणों का धाम
इक बार कान्हा तूं हाथ ले
अगर मेरा थाम......
इस जीवन की मझधार में
मिल जाएं एहतराम....
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दरख्तों से ले जो उधार
अब्र की नमी उतर आई है
धरती को देने अपना प्यार बेशुमार
साथ में लाई अपनी सच्चाई का
एतबार-
छलावे और भ्रम का ये जाल है
झूठी खूबसूरती भरा ये कमाल है
फंस जाता जो इस माया में
भंवर में डूबा हुआ इक सवाल है
दूर रहिए ऐसी फितरत से
बेहतर ये ख्याल है-
संभाल कर रखना डोर है ये तेरे मेरे प्यार की
उलझ ना जाएं ख़्याल रखना रिश्तों के एतबार की-
मशीनों पर कितना करे एतबार
ज़रा सी गलती और लापरवाही
ख़त्म कर देगी सारी मेहनत पर
पानी फेर कर ज़ार ज़ार
बुनियाद नहीं जिसकी पक्की
गुंजाइश उस पर रहती शक़ की
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डिजिटल दुनियाॅं में रंगों का भरा बाज़ार
पल पल ऑंखों को कर देता सरोबार
हर कोई खड़ा अपनी बाॅंहें पसार
कौन सच्चा कौन झूठा कैसे करें एतबार-
खुशनसीब हैं हम हमारे इस आशियानें में बहार आई
क़दम क्या पड़े हसीं आपके खुशियाॅं मानो हज़ार लाई
रहमत़ करना यूं ही ख़ुदा रिश्तों में बनी रहे हमारे वफ़ा
खुशियाॅं की बरसती रहे बारिश इस ऑंगन में ही सदा
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