कुछ इस तरह से बदल जाते हैं लोग,
मतलब निकल जाए तो पहचानते नहीं हैं लोग... ✍-
अजीब मृग मरीचिका में फंसा है प्रत्येक मनुष्य...
खोज शांति की है, ढूंढता शोर और भीड़ में है....✍-
जिसके भीतर शोर है उसे बाहर भी शोर पसंद आता है।
जो बाहर शांति में रहता है उसके भीतर भी शांति उतरती है।-
The real beauty lies in your heart, your love, kindness, generosity, compassion, your behaviour, words and actions.....
All else is artificial, temporary...-
ये माना कि मुझे कोई,
मुझ जैसा नहीं मिला..
फिर भी ये दुआ है मेरी,
तुम्हें कोई तुम जैसा जरूर मिले...-
उठाना खुद ही पड़ता है थका टूटा सा बदन,
कि जब तक साँस चलती है कोई काँधा नहीं देता...-
घासलेट और पेट्रोल तो बदनाम हैं यूं ही,
वरना कुछ लोग भी होते है 'अत्यन्त ज्वलनशील'-
दिसंबर के जाते जाते क्या क्या चला गया,
कुछ बिछड़े अनजान शख्स कोई अपना चला गया...-
दूर मैं मजबूर हूँ
आँखों से ओझल
नज़रों से है दूर तू
मिलना मुश्किल रूबरू
रात मेरे दिल में आ
फिर करें कुछ गुफ्तगु-