Madhu Arora  
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Still learning
Joined 15 July 2017


Still learning
Joined 15 July 2017
27 DEC 2021 AT 22:53

कुछ इस तरह से बदल जाते हैं लोग,
मतलब निकल जाए तो पहचानते नहीं हैं लोग... ✍

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12 DEC 2021 AT 1:00

अजीब मृग मरीचिका में फंसा है प्रत्येक मनुष्य...
खोज शांति की है, ढूंढता शोर और भीड़ में है....✍

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28 SEP 2021 AT 21:29

ज्यों- ज्यों मतलब निकलते गए,
त्यों- त्यों लोग बदलते गए....

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17 SEP 2021 AT 21:26

जिसके भीतर शोर है उसे बाहर भी शोर पसंद आता है।
जो बाहर शांति में रहता है उसके भीतर भी शांति उतरती है।

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24 JUN 2021 AT 15:26

The real beauty lies in your heart, your love, kindness, generosity, compassion, your behaviour, words and actions.....
All else is artificial, temporary...

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16 MAR 2021 AT 20:35

ये माना कि मुझे कोई,
मुझ जैसा नहीं मिला..
फिर भी ये दुआ है मेरी,
तुम्हें कोई तुम जैसा जरूर मिले...

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21 JAN 2021 AT 23:29

उठाना खुद ही पड़ता है थका टूटा सा बदन,
कि जब तक साँस चलती है कोई काँधा नहीं देता...

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20 JAN 2021 AT 23:43

घासलेट और पेट्रोल तो बदनाम हैं यूं ही,
वरना कुछ लोग भी होते है 'अत्यन्त ज्वलनशील'

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20 JAN 2021 AT 23:26

दिसंबर के जाते जाते क्या क्या चला गया,
कुछ बिछड़े अनजान शख्स कोई अपना चला गया...

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8 DEC 2020 AT 22:27

दूर मैं मजबूर हूँ
आँखों से ओझल
नज़रों से है दूर तू
मिलना मुश्किल रूबरू
रात मेरे दिल में आ
फिर करें कुछ गुफ्तगु

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