तुम रूह हो मेरी
सांसे होती तो छोड़ भी देती
तुम आखरी मंजिल हो मेरी
कोई राह होती तो मोड भी देती
तुम मेरी जिन्दगी कि किताब हो
इक लम्हा होता तो भुला भी देती है
तुम मीरा की पवित्र भक्ति हो मेरी
राधा का प्रेम होता तो त्याग भी देती
तुम मेरे अन्तर्मन में रहते हो
प्राण होते तो स्वयं को मिटा भी देती
मध्वरी 🌼
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हाँ प्रेम है तुमसे
बेहद ,
इतना की मेने प्रेम के दरिया को हदो मे
में नही बांधा,बाँधा है तो तेरे नाम से
और
मैने तुम को ऐसा पा लिया की
तुम मुझसे अब अलग नहीं होते
तुम रूह का वो तत्व हो जो
मिलना बिछुड़ना नहीं जानता
और
तुम मुझे ना चाहो मुझे अफसोस नहीं
नहीं बांधती खुद से मै तुझको
तुम होना प्रेम है, तुम्हारा मेरा होना नहीं। ।
मध्वरी 🌼🌼🌼
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बेशक तुम गुलाब ना दो उसे
पर उसके एहसासों का सम्मान हो
बेशक तुम तोहफा ना दो उसे
पर दिन के कुछ पल उसके नाम हो
ना जताओ तुम उस पर प्रेम भी
पर तुम्हे उसके प्रेम का एहसास हो
नहीं बांधती खुद से वो तुम को
न चाहती है तुमसे कुछ
पर एहसास हो उसे भी
हर वक्त तुम उसके साथ हो
मध्वरी 🌼🌼🌼
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ए खुदा ,ना उम्मीद दे ,
और ना अब ख्वाब दिखा
बहता है दर्द दरिया,तो बह जाने दे
कोई झूठा सा, अब किनारा ना दिखा
किस्मत मे ही नहीं प्रेम का वो सितारा
तारों से भरा वो आसमां ,अब ना झुका
झुकूं तो बस अब तेरे ही दर पर
फक़त,तेरे सिवा
अब किसी से कोई राब्ता ना बना
मध्वरी 🌼🌼🌼
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हर रोज़ उम्मीद लगाये बैठे
तेरे इन्तजार में पलकें बिछाये बैठे
आजा, अब ना सता मासूम दिल को
हम खुद को यूँ जलाये बैठे
अगर देरी करी "अजीज"
तो राख भी न मिलेगी
क्योंकि
तुफानो से भी, हम टकराये बैठे
मध्वरी 🌼-
प्रेम
वो बच्चो की पवित्र मुसकान सी है
जो तुझसे बात करके मेरे चेहरे पर आती हैं
वो पवित्र खिलती धुप बादल को छनती
जो मेरे चेहरे पर तुम्हे देखकर छा जाती है
वो पवित्र सा सुकून मां के आंचल सा
जो तेरी पनाह में मिलता है
वो कृष्ण की भक्ति का एहसास
जो तुम्हे याद करना इबादत सा होता है
वो राधाकृष्ण का पवित्र प्रेम सा
जो हर पल बढ़ता जाता है।।
मध्वरी 🌼🌼
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नव वर्ष
दहलीज पर खङा है नव वर्ष 🌼🌼
हंसते चेहरो से उसका स्वागत हो🙂
सब को हर खुशी मिलें, सबके सपने पुरे हो 🥰
हर सुख-दुख में अपनो का संग हो 🤝
हर गरीब को रोटी मिले ,बदन पर चादर हो ❤
यही दुआ है नव वर्ष की 🙏🙏
शान्ति,प्रेम,करूणा से इसका आगमन हो।🌄
।।मध्वरी। । 🌼-
जाना तय है ..
जाने वाले
ना देखते मुडकर ,ना रूककर
अपने भविष्य कि बांह पकड़कर चले जाते हैं
और
इक कोने में प्रेम टूटकर पङा है
खामोश सा, सिसकता सा
चिखती आत्मा का मुँह बंद करके
मुड़ जाता है भूत की ओर
प्रेम के बिते क्षणों को संजोने के लिए
वर्तमान स्तम्भ सा खङा देखते हुए
कि
जाना तय है ...........
मध्वरी 🌼
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सुहाना सफर
मुझे मंजिल का शोक नहीं,
बस राहों में तेरे साथ चलना है ।
सुकून की चाय के साथ ,
बस एहसासों का बंटवारा करना है ।
हाथ हो हाथ में उलझे ,
कंधे का तेरा बस सिरहाना हो,
ना मांगु में तुझसे कुछ ,तेरे सिवा
ना चाहत भी कुछ तेरी हो,
बस मोहब्बत को ही इबादत कहना है।
तुम कदर करे मेरी, मै फिक्र तेरी करूँ
यह कारवां अब जन्मों के भी पार करना है ।
।।मध्वरी ।।
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