ये तो बस कागज़ी बातें है भइया,
दिल धड़कता नहीं, खनकता है...
©माधव(mad._pen)
10/02/2021
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10 FEB 2021 AT 11:12
6 JAN 2021 AT 21:03
फिर ऐसा हुआ कि
उसने मेरे कंधे पर सर रक्खा
और झूठ पर सफेदी चढ़ाते हुए बोली
की वो मेरे ज़िन्दगी की आख़िरत तक का
हिस्सेदार बनना चाहती है...
वो मेरा सिर्फ़ मेरा प्यार बनना चाहती है...-
6 JAN 2021 AT 19:30
सुखी नदी में कश्ती बहाने निकले हैं,
हम भी पागल हैं,
उन्हें मनाने निकले हैं...-
30 SEP 2020 AT 15:25
No never..
Humans are differentiators but chairs are not...
Humans can change themselves into Non-Human but chairs are always chairs...-
27 AUG 2020 AT 13:59
कई आए ज़िंदगी की फेहरिस्त में जानाँ,
इनमें तुम तब भी अव्वल थी,
इनमें तुम अब भी अव्वल हो...-
31 JUL 2020 AT 21:38
तुम बिल्कुल नहीं बदली
तब भी पानी थी,
अब भी पानी हो,
फ़र्क बस इतना है के
पहले 'प्यास' बुझाती थी,
अब 'आंखों में' आती हो...-
26 JUL 2020 AT 6:57
दोस्ती हो गई है
दर्द से इस कदर आजकल,
के दर्द भी अब दर्द देता नहीं है...-