आमाल तो खुद के खास नहीं, तु उंगली उठा मुझ पर,
लाख बुरा में, तु बता कितनी नेकिया तुझ पर?-
📎Instagram- @mr__mk18
🚩 Sura... read more
इस हसीन शाम में फिर उठी है कलम कुछ लिखने को,
लगता है फिर कोई याद ताज़ा हुई है आज मिटने को।-
कुछ बेचैनिया भी जरूरी है मआज़,
आसानी से जो मिल जाए, उन मंजिलो की अहमियत नही हुआ करती।-
किनारे रास ना आए मुझे,
में लहरों में बहेता गया।
हौसले टूटे मगर,
काफिला चलता गया।
ना फिक्र थी रास्ते की,
ना डूबने का खौफ था।
ज़िद्द थी सफर की,
मंजिल का शौख था।
कुर्बानी थी नींदों की,
एक ख्वाब अधूरा था।
सहारे की कमी थी,
मगर इरादा पूरा था।
रूकावटे आती गई,
में आगे बढ़ता गया।
किस्मत रुलाती रही,
में उससे भी लड़ता गया।
किनारे रास ना आए मुझे,
में लहरों में बहेता गया।
हौसले टूटे मगर,
काफिला चलता गया।-
The biggest regret you'll have once in life,
You believed & trusted people.-
ہمیں کہاں علم تھا اس شاعرانہ زمانے کا صاحب،
اُنکی تعریف کی محفلوں نے ہمیں بھی لکھنا سیکھا دیا۔-
تھوڑا قسمت کا مارا ہو، کچھ بازیاں ہارا ہو،
بس یو ہی گزر رہی ہے زندگی، مجھے خود پتہ نہیں میں کہا جا رہا ہو۔-
سنیئے ذرا، تھوڑی تو رحمدلی رکھیے،
یو اُچے لحیزو میں تانے دینا اچھی بات تو نہیں۔-
زمانے میں اپنا زمانہ لکھنے چلا ہو ہنر پر میں اپنے،
اس سفیدی کو بھلا کر، لکھنے کچھ سنہرے پنّے اپنے-