मासूम🌹 जिंदगी🌹   (अनकहे अल्फ़ाज़.. मीत✍️)
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Joined 8 April 2021


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ख्वाबों के शहर में*वह*, मचल कर मेरी बाहों में समाएं इस क़दर
के मैन हकीकत मान पलक झपकीं, ... और फिर ख्वाब तुट गया

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वक्त ही परवाज़ करता है, परिंदे की तरह
इन्सान तो बस मोहरा है, शतरंज की बिसात का

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दयार-ए-इश्क में , आशिकी का फ़लसफ़ा कुछ और है
के नादानियों के भंवर में, बदसलूकी का पता ही नहीं चलता

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रिश्ता चाहें कोई भी हो, होता कच्चे धागे की तरह ही है!
बस जरा सी गलतफहमी और जरा सा स्वाभिमान -रिश्ते
की डोर को तोड़ने के लिए काफी है! इसलिए बच कर रहें
एक बार ये धागा तुट गया तो कोई लाख जतन कर लें जुड़ेगा नहीं,
और जुड़ा भी तो गांठ तो पड़ ही जाएगी न!
अगर थोड़ी सी नर्मी या थोड़ा सा झुक जाने
से रिश्ता बच जाए तो भी, सौदा फायदे का है!
रिश्तों के बिच*इगो*कभी नहीं आनी चाहिए

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किताबों को पढ़ने से,पढ़ाई मुकम्मल नहीं होती मीत
असली ज्ञान तो जिंदगी में तजुर्बों से आती है
सुख में साथी तो हजारों बनते हैं और मिलते हैं
मगर कौन अपना है, दुःख ही पहचान कराती है!!

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प्यार में इन्तज़ार का दर्द भी बड़ा प्यारा होता है
आते ही होंगे प्रियतम,इसी बात का सहारा होता है
एक पत्ता भी खड़के तो, दिल धड़क सा जाता है
फिर गुदगुदी होती है मन मे,अजब सा नजारा होता है

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चंद मुठ्ठी भर लोग - जो निज स्वार्थ साधने के लिए
कभी किसी*खास*समुदाय के लोगों से
देशभक्ति का प्रमाण मांगते फिर रहे थे...
अब उनके मुंह पर ताला लग गया होगा ..
क्योंकि*उसी समुदाय*के एक सपूत ने*इन्सानियत और देशभक्ति*
दोनों का प्रमाण पत्र एक साथ अपनी शहादत देकर दिखा दिया!
इन्सानियत और देशभक्ति
दिखाने कि चिज़ नहीं होती
साहिब !
ये जिनके अंदर होती है, वक्त आने पर खुद को
साबित कर देती है!!
(इस लिए हम भारतीयों को
भारतीय ही रहने दो, )



हमें हिंदू, मुस्लिम सिख ईसाई में मत बांटो
🙏🙏🙏🙏

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किसी ने आग लगा दी मेरे गुलशन में
गौर करिए... उसे भी तो किसी ने कहा होगा
किसी ने चंद पल में खून की नदियां बहा दी
सोचिए.....उसे भी तो किसी ने कहा होगा
किसी ने , बातों को कांट कर ,बात बताई
ज़रा सोचिए... उसे भी तो किसी ने कहा होगा
दिखाना था सबकुछ,मगर कुछ छुपा लिया उसने
क्या ये सच नहीं कि,उसे भी तो किसी ने कहा होगा?
एक मुद्दा मेरे घर का अभी हल भी नहीं हुआ था यारों
कि मेरे भाई ने बात ही बदल दी,उसे भी तो किसी ने कहा होगा
अब बात बदली है कि बदलवाई है, इसका भी पता लगाओ
हां भाभी बड़ी चालाक है,पर उनसे भी तो किसी ने कहा होगा
मेरे घर की हर एक बात, पड़ोसी को, कैसे पता चली
ज़रा ग़ौर किजिए, उनको भी तो किसी ने कहा होगा
ये सब मेरे घर की बात है,हम भाई आपस में लड़ रहे हैं
अपने वर्चस्व और बेइमानी के लिए,हम सब झगड़ रहे हैं
क्या ये सच नहीं है कि,हम सबको अलग करने के लिए
चाल चलकर, अलग अलग सभी से, किसी ने तो कहा होगा

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इन्सान नहीं है वो,उनके दिल में जज़्बात नहीं होती
शैतान के वंशज हैं वो ,उनकी कोई जात नहीं होती

दहशतगर्दी क़ौम है उनका,वह खून के प्यासे राक्षस है
उनके घर में *मानवता* की,एक भी बात नहीं होती!!

उन जालिम जल्लादों के बुते, कोई अपनी रोटी ना सेंके
देश खुन के आंसु रो रहा, गम ये अब बरदाश्त नहीं होती!!
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( पहलगाम में जिनके घर के चिराग बुझ गए
उनके दर्द को कोई भी बांट नहीं सकता -क्योकि
जिसपर बितती है वहीं जानता है! इश्वर उनको इस
दर्द को सहने की शक्ति दें 😭😭
और जाने वालों की आत्मा को शांति 🙏🙏
और जिन्होंने ऐसा कुकर्म किया
उनको नरक में भी जगह ना मिले!! )

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एक पुरी भी नहीं होती कि,दुसरी खड़ी हो जाती है
इस आरज़ू की खालिस, मरने तलक नहीं जाती है !!

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