ग़नीमत है कि आए , नहीं मेरे बुलाने पे
ख़ामोशी क़त्ल कर देती है, मेरे ठिकाने पे....
तन्हाइयों में सुनती हूं, ख़ामोशियों के नग़में
कहीं फिसल ना जाना, मेरे किसी तराने पे...-
गोश करो तो मेरी हर बात है मोहब्बत सी
कहीं दिल ना बैठा लेना किसी फ़साने पे....
फूलों का दिखावा तो कांटों की है साज़िश
कहीं तरस ना खा लेना इनके मुरझाने पे...-
चमक रहा है सितारा, अंधेरी रातों में...
टूट रहें हैं खवाब मेरे, उसकी बीती बातों में...-
दिल्लगी हद से ना गुजर जाए ये ख़्याल रखियेगा.....
जान पे बन आती है महोब्बत, में जरा ये ख़्याल रखियेगा....-
गुजर जाते है खूबसूरत लम्हें मुसाफिरों कि तरह..
यादें वहीं खडी़ रह जाती हैं, रुके हुए रास्तों की तरह...-
मेरा मिजाज़ गुरुर नही पहचान है मेरी....
अगर समझ ना सको तो किनारा बेहतर है ....-
जब भी सोचती हूँ, जिंदगी की किताब लिखने की, आखिरी पन्ना लिखते ही, किताब फट जाती है....
उसे सोचे बिना मेरा एक दिन नहीं कटता, पता नही लोगों से कैसे किसी को खोके जिंदगियां कट जाती हैं.....-
मेरी जिंदगी की किताब में हर अध्याय तुम्हारा है...
कहानी तो मेरी है लेकिन, हर पन्ने पे नाम तुम्हारा है....-
Toh kya hua jo tum na mile humhe...
Humari toh yaadion ka tu humsafar ho gaya....-